India News Haryana (इंडिया न्यूज), Women In Haryana Politics : हरियाणा के राजनीतिक इतिहास से स्पष्ट है कि सामान्य परिवारों से आने वाली महिलाओं को टिकट और फिर विधायक बनने का मौका बेहद कम ही मिलता है, चाहे शिक्षा या आर्थिक या फिर या फिर कोई भी क्षेत्र सेक्टर हो, महिलाओं को समाज में पुरुषों के बराबर दर्जा नहीं मिलने की मामला हमेशा चर्चा में रहा है। कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थिति प्रदेश की राजनीति के मामले में है जहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बेहद या कहें कि नगण्य है।
हालांकि भाजपा सरकार द्वारा इसके दूसरे कार्यकाल में पंचायतों में 50 फीसद आरक्षण देने का प्रावधान किया गया लेकिन अगर विधानसभा या फिर लोकसभा की बात करें तो महिलाओं की नुमाइंदगी बेहद कम है। अबकी बार 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजों में कुल 90 विधायकों में सभी राजनीतिक पार्टियों से महज 13 महिला नेता ही विधायक बन पाई और इस लिहाज से 90 में 77 पुरुष विधायकों की तुलना में ये आंकड़ा बेहद कम है।
हालांकि समय-समय पर महिलाओं को राजनीति में बराबरी का दर्जा देने की चर्चा लगातार उठती रही है, लेकिन हालत ज्यादा नहीं बदले। इसके अलावा यह भी बता दें कि विधायक बनने वाली महिलाओं को मंत्रिमंडल में पुरुष विधायकों की तुलना में जगह है बेहद कम या कहें कि नगण्य और महिला चेहरे की खानापूर्ति के लिए ही दी जाती है। इसके अलावा जो भी महिला मंत्री बनती है उनको या तो महिला और बाल विकास मंत्रालय देकर या फिर एक आध कोई अन्य डिपार्टमेंट देकर काम चला लिया जाता है। ऐसी संभावना बेहद कम ही होती है जब किसी महिला विधायक को सरकार में हैवीवेट पोर्टफोलियो दिया जाए।
निर्वाचन आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 5 अक्टूबर को हुए चुनाव में कुल 1031 उम्मीदवार चुनावी रण में उतरे थे जिनमें से महज 101 महिलाएं चुनाव लड़ रही थी। चुनाव में 464 निर्दलीय और 101 महिलाओं समेत कुल 1,031 उम्मीदवार इस बार मैदान में थे।
चुनाव में भाजपा ने 10 महिलाओं को टिकट दिया था जिनमें 5 महिलाएं विधानसभा पहुंची, दूसरी तरफ वहीं कांग्रेस ने 12 महिलाओं को टिकट दिया था, जिसमें 7 महिलाएं महिला विधायक चुनी गई तो वहीं एक निर्दलीय महिला विधायक भी चुनी गई हैं। इसी कड़ी में ये भी बता दें कि राज्य में संपन्न हुए 2024 के विधानसभा चुनाव में इस बार 13 महिला विधायक चुनी गई हैं. इससे पहले 2014 के विधानसभा चुनाव में 13 महिला विधायक चुनी गई थी, जबकि 2019 में महिला विधायकों की संख्या घटकर 8 रह गई थी।
ये भी बता दें कि भाजपा की जो महिला नेत्री चुना जीती हैं, उनमें से शक्ति रानी शर्मा कालका सीट से, कृष्णा गहलावत राई से, श्रुति चौधरी तोशाम से, और बिमला चौधरी पटौदी से और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह ने अटेली से जीत हासिल की। वहीं ये भी बता दें कि निर्दलीय उम्मीदवार और भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल बतौर निर्दलीय उम्मीदवार हिसार सीट से चुनाव जीतने में सफल रही। इसी तरह से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतने वाली महिला नेत्रियों में पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस प्रत्याशी गीता भुक्कल झज्जर , शैली चौधरी नारायणगढ़ सीट से, शकुंतला खटक कलानौर सीट से, ओलंपियन विनेश फोगाट जुलाना से, पूजा चौधरी मुलाना से, रेणु बाला साढौरा से और मंजू चौधरी नांगल चौधरी से हैं।
1967 में हुए पहले विधानसभा के चुनाव में मात्र 4 महिला विधायक चुनी गई थी। 1968 में 7, 1972 में 4, 1977 में 4 , 1982 में 7, 1987 में 5, 1991 में 6, 1996 में 4, 2000 में 4, 2005 में 11 और 2009 में 8 विधायक चुनी गई थी। इसके बाद साल 2014 में 13, 2019 में 8 और 2024 में 13 महिला विधायक चुनी गई।
आंकड़ों से स्पष्ट है कि पुरुषों की तुलना में महिला विधायकों की संख्या बेहद कम है लेकिन पिछले कुछ सालों में महिला विधायकों की संख्या में इजाफा हुआ, लेकिन बराबरी के लिहाज से ये बेहद कम है। ये भी बता दें कि 2011 की जनगणना में राज्य में 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अनुपात 877 था, जिसमें अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
एक स्टडी के मुताबिक, हरियाणा में समाज में घर और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की बराबरी का दर्जा और प्रतिनिधित्व न मिलना हमेशा चिंता का विषय रहा है। हरियाणा का इतिहास महिलाओं को लेकर इतिहास महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित तो है ही साथ में उनके प्रति बढ़ता अपराध भी हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। इसके अलावा लैंगिक समानता भी एक बड़ा मुद्दा रहा है।
एक स्टडी के मुताबिक पिछले कुछ साल में विधानसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या और 2000 से 2019 तक पुरुषों को हराने का आंकड़ा बदली हुई तस्वीर पेश करता है लेकिन ये नाकाफी है। इसी कड़ी में ये भी बता दें हरियाणा में जितनी भी महिलाएं विधायक या सांसद बनी हैं, उनमें से ज्यादातर संपन्न राजनीतिक परिवारों से रही हैं।
अगर अबकी बार चुनकर विधानसभा पहुंचने वाली महिला विधायकों पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि इस बार भी करीब आधा दर्जन से ज्यादा महिला विधायक राजनीतिक परिवारों से हैं। इसके अलावा जितनी भी महिला विधायक बार-बार बनी हैं, उनमें भी ज्यादातर राजनीतिक घरानों से संबंध रखती हैं। सामान्य परिवारों से आने वाली महिलाओं को मुख्य पार्टियों से टिकट मिलना और फिर उनका इलेक्शन जितना इतना आसान नहीं है, क्योंकि चुनाव जीतने के लिए कई फैक्टर मायने रखते हैं।
साल महिला विधायकों की संख्या
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