होम / International Gita Mahotsav 2022 : लकड़ी की नक्काशी शिल्पकला से पर्यटक हो रहे प्रभावित

International Gita Mahotsav 2022 : लकड़ी की नक्काशी शिल्पकला से पर्यटक हो रहे प्रभावित

• LAST UPDATED : November 25, 2022

इशिका ठाकुर, Haryana (International Gita Mahotsav 2022): लकड़ी की नक्काशी शिल्पकला से पुश्तों से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से सम्मान हासिल कर रहा है शिल्पकार नीरज का परिवार। इस हस्त शिल्पकार को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 में पहली बार आने का अवसर प्राप्त हुआ है और यहां आकर एक अच्छे अनुभव को साथ लेकर जाएंगे। इस महोत्सव में आमंत्रित करने पर उन्होंने सरकार और प्रशासन का आभार भी व्यक्त किया। इस बार गीता महोत्सव के स्टाल नंबर 697 पर अपने शिल्पकला को पर्यटकों के लिए सजा कर रखा है।

राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री सहित कई हस्तियों से हो चुके हैं सम्मानित

हस्त शिल्पकार नीरज बोंडवाल ने कहा कि लकड़ी की नक्काशी हस्त शिल्पकला में महारत हासिल कर 6 बार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित मुख्यमंत्रियों सहित अन्य वीवीआईपी द्वारा सम्मानित हो चुके है। हरियाणा के हस्त शिल्पी नीरज बोंडवाल सरस मेले के स्टॉल 697 पर अपनी कला के बेहतरीन नमूनों को प्रदर्शित कर रहे हैं।

कला ऐसी है कि देखने वाले आश्चर्य में पड़ जाएं। अपनी इसी कला के लिए नीरज बोंडवाल वर्ष 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा शिल्प गुरु का सम्मान पा चुके हैं, जोकि राष्ट्रीय स्तर पर किसी हस्तशिल्पी को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान है। यही नहीं नीरज के पिता महावीर प्रसाद वर्ष 1979 में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी, 1984 में चाचा राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और दादा जयनारायण 1996 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हुए हैं। वर्ष 2004 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम तथा वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा वर्कशॉप सहभागिता के लिए सम्मान पाया है। परिवार को इस कला के लिए युनेस्का अवार्ड भी मिला है।

International Gita Mahotsav 2022

International Gita Mahotsav 2022

लकड़ी पर नक्काशी का काम एक अनूठी कला

उन्होंने कहा कि इन्ही सफलताओं के फलस्वरूप उन्हें देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा के नए भवन की एक दीवार का कोना अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए दिया गया है। वे लकड़ी की नक्काशी कर तैयार किये पैनल को वहां प्रदर्शित करेंगे, इसके लिए एक बेहतरीन कला का नमूना तैयार करने में नीरज व उनका परिवार लगा हुआ है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा महात्मा बुद्घ की अस्थियों को श्रीलंका भेजने के समय भी लकड़ी की नक्काशी वाला बॉक्स नीरज के परिवार द्वारा ही तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि लकड़ी पर नक्काशी का काम एक अनूठी कला हैं, जिसमे मानसिक और शारीरिक कौशल दोनों का संगम होता है। यह कला एंटीक आर्ट के तौर पर देखी जाती है।

International Gita Mahotsav 2022

International Gita Mahotsav 2022

अपनी कला का प्रदर्शन करने आए हैं

नीरज बताते हैं कि अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव में स्टॉल लगाकर केवल मुनाफा कमाना उनका मकसद नहीं है, वह तो यहां अपनी कला का प्रदर्शन करने आए हैं और चाहते हैं कि युवा भी इस कला से जुड़े व नक्काशी की इस कला को संरक्षित करने का कार्य करे। उनके व उनके परिवार द्वारा सैकड़ों युवाओं को ट्रेनिंग दी गई है। विशेष तौर पर फाइन आर्ट्स से जुड़े विद्यार्थियों को इस प्रकार की कला को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके परिवार को भारत सरकार द्वारा ट्यूनीशिया में भी वर्ष 1995 से 1997 तक इस कला को सिखाने के लिए भेजा गया था। इस दौरान वहां भी 100 से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया था।

यह भी पढ़ें : International Gita Mahotsav 2022 : ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर लघु भारत के हो रहे दर्शन

यह भी पढ़ें : International Gita Mahotsav 2022 : सरस और क्राफ्ट मेले में आई शिल्पकला की विदेशों में भी सुनाई दे रही गूंज

यह भी पढ़ें : International Gita Festival 2022 : ताऊ बलजीत की देशी घी की जलेबी महोत्सव में घोल रही अपनेपन की मिठास

यह भी पढ़ें : International Gita Festival 2022 : हरियाणवी और पंजाबी लोक नृत्यों पर झूम उठे पर्यटक


Connect With Us : Twitter, 
Facebook

Tags:

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT