यमुनानगर/देवी दास शारदा
यमुनानागर में सिविल हॉस्पिटल की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया। जवाहर नगर से 28 जुलाई को एक युवा को उसके परिजन इलाज के लिए सिविल हॉस्पिटल ले जाते हैं लेकिन हॉस्पिटल पहुँचने से पहले युवक की मौत हो जाती है। जिसके बाद सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टर उसका कोरोना टेस्ट लेते हैं।
दो दिन बाद यानी 30 जुलाई को कोरोना नेगेटिव आने पर डेड बॉडी को रिपोर्ट के साथ परिजनों को सौंप दिया जाता है।
जैसे ही परिजन डेड बॉडी लेकर घर पहुचते हैं तो सिविल हॉस्पिटल से फोन आता है कि आप डेड बॉडी का संस्कार न करें, बॉडी कोरोना पॉजिटिव है. डेड बॉडी को लेने सरकारी एम्बुलेंस पहुंचती है, लेकिन परिजन डेड बॉडी को घर में रखकर गेट का ताला लगा देते हैं और बॉडी देने से इनकार कर देते हैं। जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंचकर बॉडी को दोबारा सिविल हॉस्पिटल भिजवाती है। इस मामले में जिला सिविल सर्जन डॉ विजय दहिया ने विभाग की चूक स्वीकार करते हुए इसमें जांच के आदेश दिए हैं।
मृतक के भाई ने कहा कि वह अपने भाई को सिविल हॉस्पिटल ले गए थे, लेकिन पर्ची कटवाने से पहले ही भाई की डेथ हो चुकी थी। डॉक्टर्स ने सिविल हॉस्पिटल में डेड बॉडी रख ली और कोरोना टेस्ट करने की बात कही. कोरोना सैंपल लेने के 2 दिन बाद तक परेशान रहे, 28 तारीख की रिपोर्ट निगेटिव आई थी, सावधानी के लिए हमने बॉडी को पैक करवा लिया और हॉस्पिटल ने पैक करके बॉडी हमें दे दी।
जैसे ही हम घर पहुंचे, 15 मिनट बाद हॉस्पिटल से फोन आया और कहा कि बॉडी कोरोना पॉजिटिव है। हम बॉडी को देखकर लेकर आए हैं मेरे भाई की ही बॉडी है यदि टेस्ट लैब वाले ही इतनी बड़ी गलती करेंगे तो डॉक्टर को क्या कहेंगे।
इस संबंध में जिला सिविल सर्जन डॉक्टर विजय दहिया ने माना कि यह विभाग की चूक है। उन्होंने कहा कि एक ही नाम की दो रिपोर्ट आने के चलते चूक हुई है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जांच कमेटी बैठाई गई है ताकि आगे से इस तरह का कोई चूक ना हो। सिविल सर्जन ने बताया कि जिस व्यक्ति की डेथ हुई थी वह कुछ अन्य बीमारियों से भी ग्रस्त था लेकिन नियम अनुसार हमने उसका सैंपल लिया और वह पॉजिटिव आया। उन्होंने कहा कि मृतक के सभी परिजनों के सैंपल लिए जा रहे हैं साथ ही उस इलाके को भी सील कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह से यह है यमुनानगर में कोरोना से छठी मौत है।