India News Haryana (इंडिया न्यूज), Health Effects: इन दिनों उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, खासकर स्मॉग के रूप में। यह खतरनाक प्रदूषण न केवल सांसों के लिए, बल्कि दिमाग और पूरे शरीर के लिए भी घातक साबित हो रहा है। स्मॉग के संपर्क में आने से न केवल सांस संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, बल्कि यह याददाश्त में भी गिरावट ला सकता है और डीएनए में भी बदलाव कर सकता है।
रोहतक के पीजीआइएमएस के विशेषज्ञों का मानना है कि स्मॉग जानलेवा हो सकता है। इसमें मिश्रित जहरीली गैसें शरीर के भीतर घुलकर खून में मिल जाती हैं, जिससे फेफड़ों और मस्तिष्क पर प्रतिकूल असर पड़ता है। खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए यह अत्यधिक खतरनाक है, क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, डीएनए में बदलाव के कारण जन्म से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।
पीजीआइएमएस के डीन डॉ. ध्रुव चौधरी का कहना है कि स्मॉग से प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़ी है, और इसमें मुख्य रूप से सांस और मस्तिष्क संबंधी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। उन्होंने लोगों को घरों में एयर प्यूरीफायर और ऑक्सीजन गैस सिलेंडर रखने की सलाह दी है।
स्मॉग में मौजूद खतरनाक गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड दिमाग और हृदय पर सीधे प्रभाव डाल सकती हैं, जिससे ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, मस्तिष्क को ऑक्सीजन की कमी होने से याददाश्त में कमी और थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, विशेषज्ञों का सुझाव है कि बीमार व्यक्ति, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बच्चे ऐसे प्रदूषित मौसम में बाहर निकलने से बचें और सुरक्षा उपायों का पालन करें।
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