Benefits Of Tamarind : इमली खट्टा और मीठा स्वाद किसी भी व्यंजन को जायकेदार बना सकता है। इसका उपयोग लोग चटनी के रूप में, पानी-पूरी का पानी बनाने में और खाने में खटास लाने के लिए करते हैं। इमली में विटामिन सी बड़ी मात्रा में पाया जाता है। इम्यूनिटी बढ़ाने वाली शक्तियों के लिए विटामिन सी का इस्तेमाल किया जाता है।
साथ ही, इमली में कैल्शियम और मैग्नीशियम भी मौजूद होता है, जो हमारी हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना जाता है। इसके अलावा इमली विटामिन ए और आयरन से भी भरपूर होती है। वैसे इमली की बात की जाए तो ये वजन कम करने में भी काफी मदद करती है। दरअसल, इमली में भारी मात्रा में फाइबर होता है। तो आईए जानते है कि इसे खाने के क्या-क्या फायदे है।
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वजन घटाने में इमली के उपयोग की बात करें, तो इसके बीज का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है। इमली के बीज में ट्रिप्सिन इन्हिबिटर गुण पाया जाता है। इमली के बीज में पाया जाने वाला यह खास गुण मेटाबॉलिक सिंड्रोम को दूर करने की क्षमता रखता है। साथ ही यह भूख को कम कर सकता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है। इमली के बीज के अलावा, इमली के गूदे का अर्क मोटापा कम करने में मददगार माना जाता है। इमली के गूदे के जलीय अर्क में एंटी-ओबेसिटी गुण पाया जाता है।
इमली में कुछ ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो पाचन में सहायता करने वाले डाइजेस्टिव जूस को प्रेरित करने का काम कर सकते हैं। इस कारण पाचन क्रिया पहले से बेहतर तरीके से काम कर सकती है। इमली के औषधीय गुण पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
ह्रदय के लिए भी इमली खाने के फायदे उठाए जा सकते हैं। कोरोनरी हार्ट डिजीज यानी ह्रदय संबंधी बीमारियों के लिए फ्री रेडिकल्स को भी जिम्मेदार माना जाता है। इमली में शक्तिशाली एंटीआक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभाव से ह्रदय की सुरक्षा कर सकते हैं।
इमली के अर्क का सेवन आर्टरी वाल्स में फैट और प्लाक जमने की क्रिया में बाधा डाल सकता है, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस से जुड़े हृदय रोग का जोखिम कम हो सकता है। इमली के हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक प्रभाव का जिक्र मिलता है यानी यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकती है। कोलेस्ट्रॉल को हृदय रोगों का एक जोखिम कारक माना जाता है। इसलिए, इमली के फायदे ह्रदय रोगों से बचाव कर सकते हैं।
इमली के बीज के अर्क में उच्च स्तर पर पॉलीफेनोल और फ्लेवोनोइड पाए जाते हैं। इमली के बीज के अर्क में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। इसलिए, इमली के फायदे डायबिटीज में उठाए जा सकते हैं।
इमली के औषधीय गुण तंत्रिका तंत्र में सुधार कर दिल की धड़कन को नियंत्रित करने का काम कर सकते हैं। इमली में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। दरअसल कैल्शियम, तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली में सुधार करने में कुछ हद तक मददगार हो सकता है। इमली का उपयोग करने से बिगड़ी तंत्रिका क्रिया में कुछ हद तक सुधार करने में सहायता मिल सकती है।
इमली में कुछ मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है, जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में एक प्रभावी और उपयोगी पोषक तत्व माना जाता है। इसलिए, इमली के फायदे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में उठाए जा सकते हैं। साथ ही इमली के बीज में पॉलीसैकेराइड तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। पॉलीसैकेराइड में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधियां पाई जाती हैं, जो शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता दे सकती हैं।
इमली के औषधीय गुण गठिया के लक्षण कम करने में भी फायदेमंद हो सकते हैं। इमली में कुछ ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें एंटी-आर्थराइटिस और एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव पाए जाते हैं। इस कारण ऐसा कहा जा सकता है कि इमली के बीज का उपयोग गठिया रोग से छुटकारा दिलाने में कारगर साबित हो सकता है।
इमली में हेप्टोप्रोटेक्टिव यानी लीवर को सुरक्षा देने वाला प्रभाव पाया जाता है, इसलिए इमली को लिवर के लिए एक कारगर खाद्य पदार्थ माना जा सकता है। इमली की पत्तियों में हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद होते हैं, जो हानिकारक तत्वों से लिवर की सुरक्षा कर सकते हैं। इसकी पत्तियों से बने काढ़े को पीलिया और हेपेटाइटिस के लिए उपयोगी माना गया है। इमली के औषधीय गुण के चलते, यह एक आयुर्वेदिक नुस्खा हो सकता है।
पुरानी सूजन कई रोगों का कारण बन सकती है, जिससे बचने के लिए इमली का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा के रूप में किया जा सकता है। इमली के गूदे, पत्तियों, बीजों, तने की छाल और जड़ों के अर्क में सूजन कम करने वाले और दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं। इमली में मौजूद अल्कालोइड्स, फ्लेवोनोइड्स, टैनिन, फिनोल, सैपोनिन और स्टेरॉयड जैसे यौगिक एंटी इन्फ्लामेट्री प्रभाव का कारण हो सकते हैं। इन्हीं गुणों के चलते इमली का प्रयोग गठिया के लक्षण और शरीर में होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
मलेरिया से बचाव में भी इमली खाने के फायदे उठाए जा सकते हैं। इमली के एंटीमलेरियल प्रभाव के बारे में बताया गया है। इस प्रभाव को प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम नामक पैरासाइट के खिलाफ कारगर पाया गया है, जो मलेरिया का कारण बनता है। हालांकि, इस प्रभाव को प्राप्त करने के लिए इमली के साथ कुछ अन्य तत्वों का जिक्र भी मिलता है, जिसमें क्लोरोफॉर्म सक्सेसिव एक्सट्रैक्ट ज्यादा उपयोगी पाया गया है।
ब्लड प्रेशर सही रखने के लिए कोलेस्ट्राल प्रोफाइल का सही होना मायने रख सकता है। इमली में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रोल की मात्रा को नियंत्रित करने का काम कर सकते हैं। कोलेस्ट्रोल की अधिकता हाई बीपी के जोखिमों को बढ़ा सकती है। इमली के उपयोग हाई बीपी में मददगार साबित हो सकते है। इमली का सेवन डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार हो सकता है। 20 ग्राम इमली का प्रतिदिन सेवन करने पर ब्लड प्रेशर, मोटापा, कमर की माप और सीरम लिपिड और ब्लड ग्लूकोज में कुछ खास फर्क नहीं पाया गया।
इमली का सेवन लैक्सेटिव प्रभाव दिखा सकता है, जिससे कब्ज से राहत मिल सकती है। साथ ही यह पेट दर्द से राहत देने में भी कारगर हो सकती है। विशेष तौर पर थाई इमली के गूदे का अर्क कब्ज की समस्या से राहत दे सकता है। इमली की यह प्रजाति दुनिया भर में अपने लैक्सेटिव गुणों के लिए मशहूर है। इसका सेवन करने से मल त्याग में आसानी हो सकती है। इस गुण के चलते इमली खाने के फायदे कब्ज और पेट दर्द में राहत दिला सकते हैं।
इमली खाने के फायदे में त्वचा से डेड स्किन निकालना और उसे निखारना भी शामिल है। इमली के गूदे के अर्क में अल्फा हाइड्रॉक्सिल एसिड पाया जाता हैं, जो डेड स्किन सेल्स को त्वचा से बाहर निकाल सकता है, जिससे त्वचा एक्सफोलिएट होकर निखरी हुई नजर आ सकती है।
इमली के गूदे के अर्क में टार्टरिक एसिड, लैक्टिक एसिड, साइट्रिक एसिड, मैलिक एसिड, पेक्टिन और इनवर्टेड शुगर होता है, जो मॉइस्चराइजिंग प्रभाव दिखाकर त्वचा का स्वास्थ्य बरकरार रख सकते हैं। इसके साथ ही यह त्वचा पर निखार भी ला सकता है। यही कारण है जिसकी वजह से इमली का प्रयोग कॉस्मेटिक उत्पादों में किया जाता है। संवेदनशील त्वचा पर यह एलर्जी का कारण भी बन सकती है।
इमली के सूरज मे बेहद फायदेमंद होती है। इमली में जाइलोग्लुकन पाया जाता है, जिसका इस्तेमाल सनस्क्रीन लोशन बनाने में किया जा सकता है। इमली में मौजूद जाइलोग्लुकन, त्वचा की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में कारगर हो सकता है।
इमली के फायदे आंतों में गड़बड़ी, भोजन जनित रोग और यौन संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ काम कर सकते हैं। इमली की छाल और गूदे से प्राप्त अर्क,बेसिलस सबटिलिस और स्यूडोमोनस एरुगिनोसा जैसे रोग कारक जीवाणुओं के विकास में बाधा डाल सकता है। इस प्रकार, इन जीवाणुओं की अधिकता के कारण होने वाली बीमारियों से बचाव में इमली का उपयोग मददगार हो सकता है।
तेज धूप न केवल त्वचा को झुलसा सकती है बल्कि सूरज से निकलने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणें त्वचा को समय से पहले बूढ़ा भी बना सकती हैं, जिसे फोटोएजिंग कहा जाता है। यह अल्ट्रा वायलेट रेडियेशन उन फ्री रेडिकल्स को बढ़ावा देता है, जो डीएनए, प्रोटीन, और फैटी एसिड को नुकसान पहुंचाकर त्वचा का स्वास्थ्य बिगाड़ सकते हैं। इमली के बीज के छिलके के अर्क में कई ऐसे प्राकृतिक पोषक तत्व होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स से लड़ने और त्वचा कोशिकाओं को आक्सीडेटिव तनाव से बचा सकते हैं।
Benefits Of Tamarind
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