India News Haryana (इंडिया न्यूज), Uric Acid : शरीर में पाए जाने वाले हर एक तत्व की मात्रा जब तक संतुलित बनी रहती है, तब तक हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है, लेकिन जब किसी भी तत्व की मात्रा थोड़ी सी भी कम या ज़्यादा होने लगती है तो इसका प्रभाव हमारे शरीर पर दिखाई देने लगता है। जैसे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से गाउट रोग हो जाता है जो एक प्रकार का गठिया रोग ही होता है, जिसमें शरीर के जोड़ों में दर्द रहने लगता है। ऐसे में ये जानना बेहतर होगा कि यूरिक एसिड होता क्या है और इसकी मात्रा बढ़ने के क्या कारण हैं, ताकि इस एसिड की मात्रा को बढ़ने से रोककर गाउट जैसी बीमारी से बचा जा सके।
यूरिक एसिड कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जैसे तत्वों से मिलकर बना कम्पाउंड होता है जो शरीर को प्रोटीन से एमिनो अम्लों के रूप में प्राप्त होता है। इस एसिड की सामान्य मात्रा तो यूरिन के साथ शरीर से बाहर निकल जाती है, लेकिन जब इसकी ज़्यादा मात्रा शरीर में बनने लगती है तो ये मात्रा बाहर निकलने की बजाय शरीर में ही जमा होती जाती है और गठिया का रूप ले लेती है।
एमिनो एसिड्स के संयोजन से प्रोटीन बना होता है और जब पाचन के दौरान प्रोटीन टूटता है तो इस प्रक्रिया में प्रोटीन से यूरिक एसिड बनता है। प्रोटीन का शरीर के लिए कितना महत्व होता है, ये तो आप बखूबी जानते हैं। शरीर में नई कोशिकाओं और ऊतकों के निर्माण में प्रोटीन बेहद ज़रूरी होता है, साथ ही पुरानी सेल्स की मरम्मत के लिए भी ये आवश्यक होता है। इसकी कमी होने पर शरीर कमज़ोर होने लगता है और बहुत सी बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में प्रोटीन की ज़्यादा मात्रा आहार में ली जाती है जो बढ़ते हुए बच्चों, युवाओं और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए आवश्यक भी होती है।
अगर 25 वर्ष की उम्र के बाद कम शारीरिक श्रम करते हुए प्रोटीन की ज़्यादा मात्रा का सेवन किया जाता है तो यही प्रोटीन शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ाने लगता है। इस एसिड की बढ़ी मात्रा छोटे-छोटे क्रिस्टल्स के रूप में हडि्डयों के जोड़ों के आसपास जमा होने लगती है। ये क्रिस्टल्स बहुत नुकीले होते हैं जो जोड़ों की चिकनी झिल्ली में चुभते हैं जिससे काफी दर्द होता है। रात में ये दर्द बढ़ जाता है और सुबह शरीर में अकड़न महसूस होती है।
शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से शरीर के छोटे जोड़ों में दर्द रहने लगता है जिसे गाउट रोग कहते हैं।
किडनी की भीतरी दीवारों की लाइनिंग क्षतिग्रस्त हो जाए तो भी यूरिक एसिड बढ़ जाता है जिससे किडनी में स्टोन होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
यूरिक एसिड का बढ़ा हुआ स्तर कार्डियोवैस्कुलर रोग और मेटाबोलिक सिन्ड्रोम का कारण भी बन सकता है।
यूरिक एसिड की मात्रा के बढ़ने से शरीर को होने वाली तकलीफ का अंदाज़ा आपको हो गया है। ऐसे में इस एसिड की मात्रा को बढ़ने से रोकने के लिए संतुलित आहार का लिया जाना बेहद ज़रूरी है जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन्स, मिनरल्स और फैट्स का संतुलन हो ताकि किसी भी एक तत्व की मात्रा न कम हो सके और न ही ज़्यादा।
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