Pippali Will Remove Stomach Problem : आज हम एक खास औषधि के बारे में बता रहे हैं, जिसका नाम है पिप्पली। पिप्पली एक प्राकृतिक औषधियों में से एक है। पिप्पली शरीर की विभिन्न समस्या को दूर करने में मददगार हाती है। यह पेट से सम्बधी रोगो से निजात पाने में मददगार साबित होती है। तो आज हम जानते है पिप्पली पेट की समस्याओं में कैसे काम आती है।
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बहुत अधिक दस्त हो रहा हो तो पिप्पली को पीस लें। इसकी 2 ग्राम को मात्रा में बकरी या गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है।
पेट दर्द के लिए पीपल और छोटी हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने पर पेट दर्द, पेट के मरोड़े व बदबूदार दस्त की परेशानी ठीक होती है। पिप्पली के 2 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम काला नमक मिलाकर गर्म जल के साथ सेवन करने से पेट दर्द का ठीक होता है। एक भाग पिप्पली, एक भाग सोंठ और 1 भाग काली मिर्च, तीनों को बराबर-बराबर मिलाकर, महीन पीस लें। भोजन के बाद 1 चम्मच चूर्ण को गर्म जल के साथ दो बार नियमित रूप से कुछ दिन तक सेवन करें। इससे पेट दर्द ठीक होता है।
पाचनतंत्र विकार को ठीक करने के लिए 250 ग्राम पीपल और 250 ग्राम गुड़ का पेस्ट बना लें। इसे 1 किलो गाय का घी, 4 लीटर बकरी का दूध में धीमी आग पर पकाएं। जब केवल घी मात्र रह जाये तो इस घी को पाचनतंत्र विकार और खांसी में प्रयोग करें। आपको केवल 1 चम्मच दिन में तीन बार सेवन करना है। इससे लाभ मिलता है। छोटी पिप्पली 1 नग लेकर गाय के दूध में 10-15 मिनट उबालें।
पहले पिप्पली खाकर ऊपर से दूध पी लें। अगले दिन 2 पिप्पली लेकर दूध में अच्छी तरह उबालकर पहले पिप्पली खा लें, फिर दूध पी लें। इस प्रकार 7 से 11 पिप्पली तक सेवन करें। जिस तरह आपने एक-एक पिप्पली को बढ़ाया था उसी तरह कम करते जाएं। यदि अधिक गर्मी ना लगे तो अधिकतम 15 दिन में 15 पिप्पली तक भी इस विधि को आजमा सकते हैं। इससे कफ, अस्थमा, सर्दी, जुकाम व पुरानी खाँसी में लाभ मिलता है।
इससे पाचन-तंत्र, गैस, अपच आदि रोग भी दूर होते हैं। पिप्पली युक्त दूध का सेवन सुबह करें। दिन में सादा आहार लें। यह ध्यान रखें कि घी, तेल व किसी प्रकार की खट्टी चीज ना लें। इसके अलावा पिप्पली, भांग और सोंठ की बराबर-बराबर मात्रा लेकर चूर्ण बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा को शहद में मिलाकर दिन में दो या तीन बार भोजन से पहले सेवन करें। इससे खाना सही से पचता है, और पाचनतंत्र ठीक रहता है।
पिप्पली का प्रयोग कब्ज में फायदेमंद होता है। पिप्पली की जड़ और छोटी इलायची को बराबर-बराबर में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में घी के साथ सुबह और शाम सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
आंतों के रोग में पिप्पली, जीरा, कूठ, बेर और गाय के गोबर को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे कांजी के साथ खूब महीन पीसकर लेप करें। इससे लाभ होता है। यह शुरूआती स्थिति में ही लाभ पहुंचाता है। इसी तरह पिप्पली जड़ को पीसकर दूध और अडूसे के रस में मिलाकर पीने से आंतों के रोग में लाभ होता है।
बवासीर में लाभ लेने के लिए आधा चम्मच पिप्पली के चूर्ण में बराबर मात्रा में भुना जीरा, तथा थोड़ा-सा सेंधा नमक मिला लें। इसे छाछ के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है। पिप्पली, सेंधा नमक, कूठ और सिरस के बीजों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे सेंहुड या बकरी के दूध में मिलाकर लेप करने से बवासीर के मस्से खत्म हो जाते हैं। सेहुण्ड का दूध तीक्ष्ण होता है, इसलिए मस्सों पर सावधानी से लगाएं।
मोटापा को कम करने के लिए पिप्पली का सेवन लाभदायक होता है। आप 2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में मधु मिलाकर दिन में 3 बार कुछ हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करें। इससे मोटापा कम होता है। आपको यह ध्यान रखना है कि मोटापा कम करने के लिए पिप्पली चूर्ण के सेवन के एक घंटे तक जल को छोड़कर कुछ भी सेवन ना करें। जल का भी सेवन तब करना है जब बहुत अधिक प्यास लगी हो।
Pippali Will Remove Stomach Problem
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