India News Haryana (इंडिया न्यूज), Pregnancy LIfestyle: गर्भावस्था के दौरान सांस की समस्याओं का सामना करने वाली महिलाओं को यह समझना जरूरी है कि यह समस्या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के कारण हो सकती है। COPD एक पुरानी फेफड़ों की बीमारी है, जो श्वसन तंत्र में रुकावट, सूजन और फेफड़ों के नुकसान का कारण बन सकती है। इसका प्रमुख कारण सिगरेट पीना और हानिकारक प्रदूषण से संपर्क में आना है। यदि समय रहते इलाज न किया जाए, तो COPD श्वसन विफलता, फेफड़ों में संक्रमण और दिल की बीमारियों जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है।
गर्भवती महिलाओं में COPD का प्रभाव न केवल उनकी सेहत, बल्कि भ्रूण पर भी गंभीर हो सकता है। यह समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन और विकास में देरी जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए और इस बीमारी से बचने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।
1. ट्रिगर से बचें: अपने लक्षणों को बढ़ाने वाले कारकों से दूर रहें, जैसे धुंआ, धूल और एलर्जी। घर को साफ और हवादार रखें, और एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
2. प्रसवपूर्व देखभाल: डॉक्टर के नियमित चेकअप से अपनी सेहत पर निगरानी रखें। समय पर चिकित्सीय सलाह से आपको सही इलाज मिल सकता है।
3. शारीरिक गतिविधि: हल्की और कम प्रभाव वाली गतिविधियां जैसे योग और सैर को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इससे आपके फेफड़ों का कार्य बेहतर होगा और आप स्वस्थ महसूस करेंगी।
गर्भवस्था में COPD का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि आप और आपका बच्चा स्वस्थ रह सकें।