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Water Survey : विश्वभर में 60 फीसदी लोगों के पास साफ पानी नहीं; बढ़ीं बीमारियां

• LAST UPDATED : August 30, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Water Survey : विश्वभर के 60% से ज्यादा लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पा रहा है जिस कारण वे तरह तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। वैश्विक तौर पर किए गए एक सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है।

Water Survey : इतने देशों के आंकड़ों से खुलासा

2019 में लॉयड्स रजिस्टर फाउंडेशन वर्ल्ड रिस्क पोल से 141 देशों के 1,48,585 वयस्कों के आंकड़ों का उपयोग करके यह रिपोर्ट बनाई गई है। अध्यनकर्ताओं का कहना है कि साफ पानी न मिलने से लोगों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है और उन्हें बीमारियां घेर रही हैं।

 बंद बोतलें प्रदूषण व ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने का काम कर रही

सर्वेक्षण में शामिल लोगों से यह जानने की कोशिश की गई कि वे अपने पेयजल को कितना स्वच्छ और सुरक्षित मानते हैं। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और चैपल हिल में यूनिवर्सिटी आफ नॉर्थ कैरोलिना के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अध्ययन में कहा गया कि जब लोग अपने नल के पानी पर भरोसा नहीं करते तब वे बोतल बंद पानी खरीदते हैं। बोतलबंद पानी बहुत महंगा होने के साथ पर्यावरण के लिए यह हानिकारक भी होता है, क्योंकि बोतलें प्रदूषण व ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने का काम करती हैं।

जानें हर वर्ष इतने टन प्लास्टिक का हो रहा उपयोग

अधयनकर्ताओं ने पानी की आपूर्ति और इसके नुकसान संबंधी कारणों में बहुत अंतर पाया। यह गेप जाम्बिया में सबसे ज्यादा, सिंगापुर में सबसे कम और जिनका कुल औसत 52.3 फीसदी तक था। पूरी दुनिया में पानी की बोतलों में हर साल लगभग 2.7 मिलियन टन प्लास्टिक का उपयोग होता है। बोतल बंद पानी को बाजार तक पहुंचाने से वायु प्रदूषण व कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है।

खराब जल का सेवन बीमारियों को न्यौता

सर्वेक्षण में शामिल लगभग एक लाख से अधिक लोगों ने आशंका जताई कि उन्हें स्थानीय संसाधनों से जो जल मुहैया करवाया जा रहा है वह स्वच्छ और सुरक्षित नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल 60 % से ज्यादा लोगों ने बताया कि उनकी सेहत पेयजल की वजह से खराब हुई है। उन्होंने इस संबंध में मेडिकल दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। जिन्हें पेयजल की वजह से सेहत संबंधी परेशानी हुई उनमें 72 फीसदी बच्चे व बुजुर्ग शामिल थे। दूषित पेयजल के कारण करीब 68% महिलाओं की सेहत पर विपरीत असर पड़ा।

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