India News (इंडिया न्यूज),Court Acquitted POCSO Accused,मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए आरोपी को दोष मुक्त कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि केवल अकल दाढ़ का न होना एक पीड़िता की उम्र साबित करने के लिए पुख्ता सबूत नहीं है।
आरोपी महरबान हसन बाबू खान ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बाबू खान को नाबालिग से बलात्कार का आरोपी सिद्ध करते हुए दोषी ठहराया गया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने कहा कि रायगढ़ जिले की स्पेशल कोर्ट ने 18 दिसंबर 2019 को बाबू खान को पोक्सो एक्ट में दोषी ठहराने के लिए एक दंत चिकित्सक की गवाही को पर्याप्त साक्ष्य मान लिया था। जिसने पीड़िता की उम्र का आकलन करने के लिए क्लीनिकल और रेडियोग्राफिक जांच की थी।
दंत चिकित्सक ने कोर्ट में कहा ने कहा था कि उन्हें अकल दाढ़ यानी तीसरी दाढ़ नहीं मिली थी। इस आधार पर उन्होंने पीड़िता की उम्र लगभग 15 से 17 साल बताई थी। हालांकि, जब क्रॉस एग्जामिनेशन किया गया तो उन्होंने यह कबूल किया कि 18 साल की उम्र के बाद किसी भी समय अकल दाढ़ निकल सकती है।
जस्टिस प्रभुदेसाई ने मोदी के चिकित्सा न्यायशास्त्र का जिक्र करते हुए कहा, दूसरी दाढ़ 12 से 14 साल के बीच निकलती है जबकि तीसरी दाढ़ (अकल दाढ़) 17 से 25 साल के बीच निकलती है। अकल दाड़ का निकलना ज्यादा से ज्यादा यह संकेत दे सकता है कि व्यक्ति की आयु 17 वर्ष या उससे अधिक है लेकिन अकल दाढ़ का न निकलना या न होना यह साबित नहीं करता है कि व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से कम है।
इस लेकर फैसला सुनाते हुए जस्टिस प्रभुदेसाई ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने पीड़िता की उम्र साबित करने के लिए गवाहों की जांच नहीं की और इस तरह यह अप्रमाणित रहा। इसलिए सजा को रद्द करते हुए बाबू खान को बरी कर दिया गया।
आरोपी बाबू खान ने दावा किया कि वह पीड़िता से शादी करना चाहता था और उत्तर प्रदेश से लौटने के बाद उसने उसका पता लगाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मिली और अचानक उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसने कहा कि वह उस लड़की से शादी करना चाहता है और उसके बच्चे की देखभाल भी करना चाहता है।
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