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Gurudev Sri Sri Ravi Shankar : जीवन में कुशलता प्राप्त करना ही योग : गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर 

• LAST UPDATED : June 19, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Gurudev Sri Sri Ravi Shankar : भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि “योग से कर्म में कुशलता आती है”। योग केवल आसन नहीं है, बल्कि आप कितनी कुशलता से बातचीत कर पाते हैं, कितनी कुशलता से किसी भी परिस्थिति का सामना कर पाते हैं; यह भी योग है। आज के समय में कोई भी यह नहीं कहेगा कि उन्हें कुशलता नहीं चाहिए। यहां कोई ऐसा नहीं जिन्हें नवाचार नहीं चाहिए, अंतःस्फूर्णा नहीं चाहिए या बातचीत करने की कुशलता नहीं चाहिए। ये सभी योग के सह-प्रभाव हैं, मैं यह भी नहीं कहूंगा कि ये सभी मुख्य प्रभाव हैं।

Gurudev Sri Sri Ravi Shankar : योग हमेशा सद्भाव ही फैलाता

योग हमारी किसी भी विश्वास प्रणाली के विरोध में नहीं है। चाहे आप किसी भी धर्म के अनुयायी हों, कोई भी दर्शन मानते हों या फिर किसी भी राजनीतिक विचारधारा का पालन करते हों, योग किसी के विरोध में नहीं है। योग हमेशा सद्भाव ही फैलाता है। योग विविधता को बढ़ावा देता है। योग का अर्थ ही है अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं को जोड़ना। अब आप चाहे व्यवसायी हों, कोई प्रसिद्ध व्यक्ति हों या कोई साधारण व्यक्ति आप जीवन में शांति चाहते हैं, अपने चेहरे पर मुस्कान रखना चाहते हैं और खुश रहना चाहते हैं। यह खुशी तभी हो सकती है जब आप दुःख के कारण को पहचानें। और  दुःख का सबसे बड़ा कारण जीवन में तनाव और लक्ष्य की कमी है।

एंटी डिप्रेसेंट दवाएं लंबे समय तक लाभ नहीं करेंगी

अब यूरोपियन पार्लियामेंट जी.डी.एच (ग्रॉस डोमेस्टिक हैप्पीनेस) की चर्चा करने लगी है। अब हम ग्रॉस डोमेस्टिक हैप्पीनेस की ओर बढ़ रहे हैं। योग उसमें बहुत सहायक होगा। आज हमारी जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा डिप्रेशन से जूझ रहा है। इस स्थिति में प्रोजाक जैसी एंटी डिप्रेसेंट दवाएं लंबे समय तक लाभ नहीं करेंगी। हमें किसी प्राकृतिक चीज की जरूरत है, हमारी सांस जैसी प्राकृतिक चीज जिसका उपयोग हम चेतना के उत्थान के लिए कर सकें और खुश रह सकें । क्या आपने ध्यान दिया है कि जब हम खुश रहते हैं तब हमें कैसा अनुभव होता है; हमारे भीतर कैसा भाव उठता है? मान लीजिए किसी ने आपकी तारीफ की या आप जो पाना चाहते थे वह आपको मिल गया तो आप पाएंगे कि आपके भीतर कुछ फैल रहा है।

योग में मन की स्थिति को बदलने का रहस्य

वैसे ही जब हमें कोई असफलता मिलती है या कोई हमारा अपमान करता है तब हमारे भीतर कुछ सिकुड़ता है। जब हम खुश होते हैं तब ‘जो’ हमारे भीतर फैलता है और दुखी होने पर ‘जो’ सिकुड़ता है, उस पर ध्यान देना ही योग है। अक्सर हम नकारात्मक भावनाओं से परेशान हो जाते हैं क्योंकि न तो घर पर और न ही स्कूल में हमें यह सिखाया जाता है कि नकारात्मक भावनाओं का सामना कैसे करें। यदि आप दुखी हैं तो दु:खी ही रहकर ठीक होने का इंतजार करते रहते हैं। तो योग में मन की स्थिति को बदलने का रहस्य है।

उनके भीतर का अपराधी भी गायब हो जाता

योग आपको ऐसी स्वतंत्रता देता है कि अपनी भावनाओं का शिकार होने की बजाय जैसा आप अनुभव करना चाहते हैं, वैसा अनुभव कर सकते हैं। आर्ट ऑफ़ लिविंग ने दुनिया भर की जेलों में बंद लाखों कैदियों को योग सिखा कर इसका प्रत्यक्ष अनुभव किया है। हर अपराधी यही कहता है कि वह  किसी न किसी चीज से पीड़ित है। जब हम उनके भीतर के पीड़ित को आराम पहुंचाते हैं, तब उनके भीतर का अपराधी भी गायब हो जाता है।

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