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Maa Brahmari Devi Temple Barwala : 400 साल पुराने इस मंदिर में जलती है अखंड ज्योति, विदेशों तक है आस्था

  • बच्चों के प्रथम मुंडन के लिए उमड़ती है भारी भीड़

India News (इंडिया न्यूज), Maa Brahmari Devi Temple Barwala, हिसार : चैत्र नवरात्रि का पर्व चाहे खत्म हो गया हो लेकिन आज हम हरियाणा के एक ऐसे मंदिर की चर्चा करने जा रहे हैं, जहां अक्सर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। यह मंदिर है माता भ्रामरी देवी जोकि एक ऐतिहासिक शक्तिपीठ है। यह हिसार के बरवाला के बनभौरी गांव में स्थित है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां मंदिर परिसर में 24 घंटे अखंड ज्योति प्रजवल्लित रहती है।

छठ पर्व पर होती है यहां पूजा-अर्चना

नवरात्रों के दौरान यहां लोगों की अधिक भीड़ देखने को मिलती है। कहा जाता है न केवल देश, बल्कि विदेशों से भी लोग इस प्राचीन मंदिर के दर्शनों के लिए आते हैं। इसके अलावा छठ पर्व पर श्रद्धालु यहां विशेष पूजा अर्चना करते हैं।

धरती से ही प्रकट हुई थी यहां मूर्तियां

लोक मान्यता के अनुसार माता भ्रामरी देवी मंदिर लगभग 400 साल पुराना है। ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं कि इस स्थल पर माता भ्रामरी देवी व अष्टभुजी माता महिषासुर वर्धनी की मूर्तियां धरती से ही प्रकट हुई थी। कहते हैं ब्रहृमचारी, जिनके वंशज आज भी मंदिर की सेवा कर रहे हैं, उनकी मूर्ति भी यहां स्थापित है।

मंदिर में है धागा बांधने की परंपरा

अति प्रचलित मान्यताओं वाला इस मंदिर की अधिक मान्यता है। कहा जाता है यहां धागा बांधकर मन्नत मांगने से हर कामना पूरी होती है। यहां श्रद्धालु अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते हैं तो वहीं वर्षों पुरानी परंपराओं के अनुसार यहां नव-विवाहित जोड़ों द्वारा माता का आशीर्वाद लिया जाता है। वर्ष में आने वाले चारों नवरात्रि अष्टमी और नवमी को कढ़ाई चढ़ाई जाती है। देवी रूपक कंजकों कन्याओं को भोजन कराकर यथाशक्ति दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।

काली, भैरों बाबा आदि कई मूर्तियां हैं स्थापित

मंदिर में धरती से प्रकट हुई मूर्तियों के अलावा भी अन्य मूर्तियां स्थापित की गई है। इसमें मां काली, भैरों बाबा, राधा-कृष्ण, हनुमान व शिव परिवार शामिल है। यहां पूर्ण विधि विधान के अनुसार ब्रहृमचारी के वंशज कौशिक परिवार से हैं। वहीं मन्नत मांगने व मन्नत का धागा बांधने के लिए दरबार के पीछे एक विशेष स्थान बना हुआ है।

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