इशिका ठाकुर, India News, (इंडिया न्यूज), Akshay Vat kurukshetra, कुरुक्षेत्र : धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के चारों तरफ 48 कोस में महाभारत युद्ध के प्रमाण आज भी मौजूद हैं। इसी 48 कोस में एक स्थान है ज्योतिसर है जिसका महाभारत काल के बाद धर्म शास्त्रों में एक विशेष महत्व है। ज्योतिसर पावन धाम की धरा पर हजारों साल पुराना अक्षय वट वृक्ष अभी भी मौजूद है। अक्षय वट वृक्ष के निकट एक ज्योतिर्लिंग है, इस ज्योतिर्लिंग के नाम पर महाभारत काल के इस पावन धाम का नाम ज्योतिसर पड़ा।
हजारों साल पहले जब महाभारत का युद्ध शुरू होना था तो अचानक अर्जुन ने युद्ध में अपने सामने खड़े सगे संबंधियों को देखकर युद्ध से मुंह फेर लिया था तो उस वक्त श्री कृष्ण ने अर्जुन को विराट रूप दिखाकर
श्रीमद्भागवत गीता के गुण, प्रभाव, स्वरूप तथा रहस्य, उपासना और कर्म व ज्ञान के संदेश को विस्तार से अर्जुन को समझाया था। श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को महाभारत युद्ध के दौरान दिए गए गीता के संदेश का एकमात्र साक्षी यह अक्षय वट वृक्ष है। इसकी शाखाएं दूर-दूर तक फैली हैं जिन्हें अज्ञानता वश काटा भी गया था, जिसके कारण अब यह कई भागों में बंट चुका है, लेकिन अपने मूल स्थान पर यह आज भी कायम है।
ज्योतिसर का यह स्थान महाभारत युद्ध का मध्य स्थल माना जाता है तथा कौरव और पांडव सेनाओं के बीच
लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत के युद्ध का केवल यह वटवृक्ष साक्षी है। इस वट वृक्ष की खोज गुरु आदि शंकराचार्य ने की थी। काशी जाते समय गुरु शंकराचार्य यहां विश्राम के लिए रुके थे और कुछ समय की तपस्या में उन्हें आभास हुआ था कि ज्योतिसर इसी पावन धरती पर श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश दिया गया था, तभी से लोग अपनी आस्था और विश्वास के साथ यहां इस वट वृक्ष के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
यह वृक्ष थानेसर शहर से यह ज्योतिसर गांव, ब्रह्मा सरोवर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है और रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 6 किलोमीटर की है। हर साल यहां हजारों श्रद्धालु इस वट वृक्ष के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। मौजूदा समय में अब सरकार द्वारा यहां करोड़ों रुपए की लागत से कई निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिनमें विशेष रूप से तैयार भगवान श्री कृष्ण के विराट रूप की विशालकाय प्रतिमा लोगों के दर्शनार्थ बनकर तैयार हो गई है।
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की ओर से लेजर लाइट एंड साउंड का आयोजन किया जाता है इसमें टूरिस्ट महाभारत की प्रमुख घटनाओं को भव्य तरीके से देख सकते हैं और सुन भी सकते हैं। इसमें पूरे महाभारत के युद्ध जैसा माहौल बनाया जाता है जिसमें युद्ध के दौरान की आवाजें और शोर लोगों को महाभारत के युद्ध में लेकर जाते हैं। आने वाले समय में ज्योतिसर में बन रहा म्यूजियम भी लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगा। इस स्थान को श्रद्धालुओं तथा पर्यटक के लिए केंद्र तथा प्रदेश सरकार द्वारा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के माध्यम से अधिक आकर्षक बनाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। ज्योतिसर का यह स्थान महाभारत काल तथा मद भागवत गीता के उपदेश का पूरे विश्व में और अधिक महत्व बढ़ा रहा है।
ज्योतिसर स्थित महाभारत के साक्षी अक्षय वट वृक्ष के प्रति लोगों की आस्था ही इसके जीवन के लिए खतरा बन गई थी। यहां आने वाले श्रद्धालु भारी संख्या में वट वृक्ष पर परांदे बांध देते थे। इससे गहरे निशान होने के कारण पेड़ की शाखाएं सूखने लगी थीं। परिक्रमा मार्ग पर चारों ओर संगमरमर के पत्थर लगाने से पेड़ की जड़ों तक ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुंच पा रही थी। इसी कारण इस ऑक्सीजन की कमी के कारण यह पेड़ धीरे-धीरे जर्जर होता जा रहा था। जिसे अब सही हालत में लाया गया है।
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