इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
All Three Agricultural Laws Back तीनों नए कृषि कानून केंद्र सरकार ने आखिर वापस ले लिए हैं। शुक्रवार को गुरुपूर्व के दिन देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने यह बड़ी घोषणा की। मोदी ने शुक्रवार को अपना 18 मिनट का भाषण दिया। आईए बताते हैं कि कोई भी कानून वापस कैसे होता है और केंद्र को संसद सत्र में क्या प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी? संविधान एक्सपर्ट विराग गुप्ता ने इन कानूनों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी कानून को जैसे बनाने की प्रक्रिया होती है वैसे ही कानून को वापस लेने की प्रक्रिया भी उसी तरह की होती है। सरकार द्वारा सबसे पहले संसद के दोनों सदनों में इस संबंध में बिल को पेश किया जाएगा। बिल बहुमत के आधार पर पारित किया जाएगा। उसके बाद बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा जिस पर राष्ट्रपति अपनी मुहर लगाएंगे। इसके बाद ही सरकार नोटिफिकेशन जारी करेगी। इस सारी प्रक्रिया के बाद कृषि कानून रद हो जाएंगे।
मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है। सरकार अगर चाहे तो वैकल्पिक तौर पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर भी इन कानूनों को रद करने के लिए अपनी सहमति दे सकती है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक आदेश से भी कानून रद हो सकते हैं।
इन तीनों कृषि कानूनों के बारे में केंद्र का कहना था कि किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प बढ़ेंगे। वहीं किसान मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच सकेंगे। निजी कंपनियों और किसानों में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग का विकल्प खुलेगा। इन कानूनों से किसान सही दाम होने पर ही फसल बेचेंगे।
इन तीन कृषि कानूनों के लागू होने से बड़े कॉर्पोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई। जिस कारण यह खुली छूट भविष्य में मंडियों की प्रासंगिकता को ही खत्म कर देगी। किसानों का यह भी मानना है कि जमीन को एक निश्चित राशि पर एक कॉपोर्रेट किराये पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा जिसससे किसान हमेशा के लिए बंधुआ मजदूर बन जाएंगे। वहीं जमाखोरी और कालाबाजारी का बढ़ावा मिलेगा।
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