India News (इंडिया न्यूज़), Analysis on Hit and Run Law, नई दिल्ली : देश में हर साल कितने ही लोग हादसों में असामयिक काल के ग्रास में समा जाते हैं। ऐसे कितने ही मामले हर रोज सामने आते हैं, जब किसी व्यक्ति को कोई वाहन टक्कर मार देता है और वाहन चालक फरार हो जाता है। इतना ही नहीं, समय पर इलाज न मिलने के चलते घायल व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। किसी और की लापरवाही के चलते जान गंवाने वाले मासूम लोगों को बचाने के लिए केंद्र सरकार हाल ही में संसद में नया हिट एंड रन विधेयक लेकर आई।
बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद भारतीय न्याय संहिता के तहत नया कानून बनाया है। हालांकि, इस नए कानून में जो प्रावधान जोड़े गए हैं, उन प्रावधानों का ट्रांसपोर्टरों और ड्राइवरों ने कड़ा विरोध किया है। इसको देखते हुए सरकार के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों और ट्रांसपोर्ट यूनियन के पदाधिरियों के साथ बैठक में फिलहाल नए कानून के प्रावधानों को होल्ड पर कर दिया गया है। मामले को लेकर विपक्ष का तर्कविहीन विरोध भी सवालों के घेरे में है।
सही बात का भी विरोध करना विपक्ष का जैसे शगल बन गया है। नए कानून का विरोध करने वालों को सबसे पहले इस कानून की मंशा को समझना बेहद जरूरी है। कानून का मंतव्य ये है कि कोई भी मासूम बेवजह जिंदगी न गंवाए। हादसे में चोट लगने के बाद हर किसी को समय पर इलाज मिलने का संवैधानिक अधिकार है।
कितनी ही बार ऐसा होता कि हादसे का शिकार हुआ व्यक्ति परिवार की रोजी रोटी का एकमात्र जरिेया होता है। हादसे के कारण पीड़ित परिवार का दर्द दोहरा हो जाता है। एक तो उनका अजीज सदस्य दुनिया से चला गया और फिर परिवार को जीवनयापन व पेट की भूख के लिए अलग मोर्चे पर लड़ाई लड़नी पड़ती है।
वहीं पीड़ित परिवारों को मुआवजे के लिए भी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है। कई बार तो ये संघर्ष वर्षों तक चलता है और उनकी वेदना का कोई अंत नजर नहीं आता। आप एक बार कल्पना कीजिए कि आपके किसी प्रिय के साथ कोई हादसा हो जाए तो मन पर क्या गुजरेगी। क्या आपकी आत्मा को ठेस नहीं पहुंचेगी जब आपके किसी परिजन के साथ हादसे को अंजाम देकर दोषी ड्राइवर भाग जाए और इलाज न मिलने के चलते आपका अजीज प्रियजन दुनिया से रुखसत हो जाए। रही-सही कसर तब पूरी हो जाती है जब आपको मुआवजे के लिए भी दफ्तरों के कई-कई चक्कर काटने पड़ते हैं।
भारत कोई पहला देश नहीं है जहां हिट एंड रन मामले में बड़ी सजा व जुर्माने का प्रावधान लागू किया जा रहा है। पड़ोसी चीन के अलावा यूरोप व पश्चिमी देशों में हिट एंड रन के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान है। भारत के पड़ोसी देश चीन में पहले से ही हिट एंड रन मामलों में दोषी के खिलाफ कड़े नियमों के तहत कार्रवाई की जाती है। यहां इन मामलों में पीड़ित की मौत होने पर दोषी को 7 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
वहीं यूरोपीय देश जर्मनी में हिट एंड रन मामलों में भी कड़े कानून हैं और इस कानून के तहत दोषी को 5 साल की सज़ा हो सकती है और अगर कोई व्यक्ति दुर्घटना का चश्मदीद है और उसने पीड़ित की मदद न की हो तो उसे भी 1 साल जेल की हवा खानी पड़ती है।
नियमों के मुताबिक अमेरिका में हिट-एंड-रन मामले में पीड़ित की मृत्यु हो गई हो और उसमें दोषी पाए जाने पर 6 महीने से लेकर 30 साल तक की सजा का कानून है। इसके अलावा 10 लाख रुपए तक जुर्माना भी है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाहरी देश हिट एंड रन मामलों को लेकर कितने गंभीर हैं। तकनीकी और करीब-करीब हर क्षेत्र में आगे इन देशों में हिट एंड रन मामलों को लेकर इतने कड़े नियम बनाए गए हैं तो हमारे यहां क्या परेशानी है। क्या सड़क पर पैदल या अपने वाहन में जा रहे मासूम व्यक्ति की जिंदगी इतनी सस्ती है कि कोई टक्कर मारकर भाग जाए और घायल व्यक्ति को इलाज भी नसीब न हो।
बेशक कुछ पहलुओं को लेकर ड्राइवरों और ट्रांसपोर्टरों को आपत्ति है लेकिन हिट एंड रन कानून को विस्तृत परिप्रेक्ष्य में देखना जरूरी है। जहां ड्राइवर, ट्रांसपोर्ट और विपक्ष इस बात का विरोध कर रहे हैं कि इंडियन पेनल कोड 2023 में हुए संशोधन के बाद एक्सीडेंट होने पर 10 साल की सजा और 7 लाख रुपए जुर्माने के प्रावधान को खत्म किया जाए, तो उनको नए कानून की आत्मा और मायनों को अन्य देशों में इसी प्रकृति के मामलों में निर्धारित नियमों को भी एक बार देखना व समझना चाहिए।
उपरोक्त के अलावा अन्य कई देशों में भी हिट एंड रन के मामलों में सख्त नियम हैं। यूएस के पड़ोसी देश कनाडा में कड़े प्रावधान हैं। कनाडा में हिट-एंड-रन के मामले में दोषी पाए जाने पर 5 साल की सजा का कानून है और हादसे में घायल की मौत हो जाती है तो उम्रकैद का नियम है। इसके अलावा गलत या झूठ जानकारी देने पर अलग से जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इंग्लैंड में ऐसे में मामलों में और भी सख्त नियम हैं। हिट एंड रन मामलों में दोषी के खिलाफ पीड़ित की मौत होने पर 14 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा भारी जुर्माने का भी विकल्प अस्तित्व में है जो अलग से या फिर सजा के साथ लागू किया जा सकता है।
साउथ कोरिया में भी हिट एंड रन मामलों दोषी के खिलाफ सख्त नियम ही हैं। वहीं सजा के साथ साथ हिट-एंड-रन के मामले में पीड़ित की मौत होने पर दोषी को उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है। साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया जाता है। इसके अलावा अरब देशों की बात करें तो वहां भी नियम साफ हैं।
यूएई की बात करें तो हिट एंड रन के मामलों में आर्टिकल 5 (1) के मुताबिक वहां कड़े नियम हैं। यूएई में इस तरह के मामलों में 56 लाख तक जुर्माना है। इतना ही नहीं, वहां के नियम कायदों के अनुसार ड्राइवर को सबसे पहले व्हीकल संबंधित दस्तावेज पुलिस को सौंपने जरुरी हैं, अगर मौके पर पुलिस मौजूद नहीं है तो घटना के 6 घंटे के अंदर मामले की जानकारी पुलिस स्टेशन में देनी होगी। अगर जानकारी देने में देरी होती है तो इसका भी कारण बताना होगा।
इसके अलावा सउदी अरब में हिट एंड रन मामलों को लेकर समय-समय पर एडवाइजरी भी जारी की जाती है। इसके अलावा जापान की बात करें तो इस प्रकृति के मामलों में दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता है। नए कानून से पहले देश में हिट एंड रन मामलों में आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना, 304 ए (लापरवाही के कारण मौत) और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत किया जाता है और इसके अंतर्गत दो साल की सजा का प्रावधान है।
दुर्घटना के आंकड़े बताते हैं कि हिट एंड रन के मामलों में हर साल देश में 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है। मौतों के इन आंकड़ों को देखते हुए ड्राइवरों पर सख्ती करते हुए नए कानून में सख्त प्रावधान जोड़े गए हैं। वहीं नए कानून का विरोध करने वाले ड्राइवरों का कहना है कि अगर दुर्घटना के बाद वे मौके से फरार होते हैं तो उन्हें 10 साल की सजा हो जाएगी। अगर वे मौके पर रुक जाते हैं तो भीड़ उन पर हमला करके पीट-पीट कर मार देगी। ड्राइवरों के लिए आगे कुआं और पीछे खाई वाली स्थिति हो गई है। यह बात सही भी है कि कई बार उग्र भीड़ हिंसक रूप ले लेती है और मामला मॉब लिंचिंग का रूप ले लेता है।
उधर, पूर्व परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने नए कानून को जन विरोधी और संविधान विरोधी बताया है। नया कानून चालकों के मूल अधिकारों का हनन है। राजस्थान सरकार ने तो सड़क दुर्घटनाओं में मौतों को कम करने के लिए ड्राइवरों के हित में कानूनी प्रावधान किए थे। दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने वाले को 5 हजार रुपए का इनाम देना शुरू किया था। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकर ने ऐसे प्रावधान किए थे कि अगर कोई गाड़ी ड्राइवर किसी घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उस गाड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
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