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All India Muslim Personal Law Board : वक्फ बोर्ड की कानूनी स्थिति और शक्तियों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं : एआईएमपीएलबी

• LAST UPDATED : August 5, 2024
  • वक्फ बोर्ड में बदलाव की खबरों पर भड़का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
  • कहा – वक्फ़ एक्ट 2013 में कोई भी ऐसा बदलाव, जिससे वक्फ़ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति बदल जाए हरगिज़़ क़बूल नहीं

India News Haryana (इंडिया न्यूज़) All India Muslim Personal Law Board : केंद्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन के लिए संसद में विधेयक लाने की तैयारी के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने रविवार को कहा कि वक्फ बोर्ड की कानूनी स्थिति और शक्तियों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

एआईएमपीएलबी ने कहा कि उसे वक्फ़ एक्ट 2013 में कोई भी ऐसा बदलाव, जिससे वक्फ़ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति बदल जाए या उन्हें हड़पना सरकार या किसी व्यक्ति के लिए आसान हो जाए, हरगिज़़ क़बूल नहीं होगा। बयान में कहा गया कि वक्फ़ बोर्डों के अधिकारों को कम या सीमित करने को भी कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

All India Muslim Personal Law Board  : वक्फ़ संपत्तियां मुसलमानों के बुजुर्गों द्वारा दिए गए उपहार

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद क़ासिम रसूल इलियास ने एक प्रेस बयान में कहा, “विश्वसनीय जानकारी के अनुसार, भारत सरकार वक्फ़ एक्ट 2013 में लगभग 40 संशोधनों के माध्यम से वक्फ़ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति को बदलना चाहती है ताकि उन पर कब्जा करना और उन्हें हड़पना आसान हो जाए. यह विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किया जा सकता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट करना जरूरी समझता है कि वक्फ़ संपत्तियां मुसलमानों के बुजुर्गों द्वारा दिए गए वे उपहार हैं जिन्हें धार्मिक और चैरिटी के कामों के लिए वक्फ़ किया गया है। सरकार ने बस उन्हें नियंत्रित करने के लिए वक्फ़ एक्ट बनाया है।

सरकार ने अब तक के फैसलों में छीनने का ही काम किया दिया कुछ नहीं

उन्होंने आगे कहा, “वक्फ़ एक्ट और वक्फ़ संपत्तियों को भारतीय संविधान और शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937 भी सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए भारत सरकार इस कानून में कोई ऐसा संशोधन नहीं कर सकती, जिससे इन संपत्तियों की प्रकृति और हैसियत ही बदल जाए। रसूल इलयास ने कहा कि अब तक सरकार ने मुसलमानों से संबंधित जितने भी फैसले किए और कदम उठाए हैं, उनमें उनसे कुछ छीनने का ही काम हुआ है, दिया कुछ नहीं, चाहे वह मौलाना आजाद फाउंडेशन का बंद किया जाना हो, या अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप को रद्द करना, या फिर तीन तलाक से संबंधित कानून हो।

आशंका है कि अगला नंबर सिखों और ईसाइयों की वक्फ़ संपत्तियों का

उन्होंने कहा कि यह मामला केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं रहेगा। वक्फ़ संपत्तियों पर चोट करने के बाद आशंका है कि अगला नंबर सिखों और ईसाइयों की वक्फ़ संपत्तियों का और फिर हिंदुओं के मठों और अन्य धार्मिक संपत्तियों का भी आ सकता है।  डॉ. इलियास ने स्पष्ट किया कि मुसलमान वक्फ़ एक्ट में कोई भी ऐसा संशोधन हरगिज़ क़बूल नहीं करेंगे जो उसकी हैसियत को बदल कर रख दे. इसी तरह वक्फ़ बोर्डों की कानूनी और न्यायिक हैसियत और अधिकारों में हस्तक्षेप भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ओवैसी ने भी जताया विरोध

उधर, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है। उन्होंने कहा, बीजेपी शुरू से ही वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही है और उसने अपने हिंदुत्व एजेंडे के तहत वक्फ संपत्तियों तथा वक्फ बोर्ड को खत्म करने का प्रयास शुरू किया है। उन्होंने कहा, यह अपने आप में धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।

ओवैसी ने आरोप लगाया कि अगर सर्वेक्षण बीजेपी सरकार द्वारा किया जाता है, तो इसका नतीजा यह होगा कि संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं होगी। ओवैसी ने कहा कि देश में कई दरगाह और मस्जिदें हैं, जिनके बारे में भाजपा-आरएसएस दावा करता है कि वे दरगाह और मस्जिदें नहीं हैं, उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, अगर मीडिया की खबरें सच हैं, तो मोदी के नेतृत्व वाली सरकार मुसलमानों से वक्फ बोर्ड की संपत्तियां छीनना चाहती है।

क्या बोले मुख्तार अब्बास नकवी?

इस बीच, अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को ‘एक्स’ पर कहा, वक्फ की कार्यशैली को ‘टच मी नॉट’ (अछूत) की सनक-सियासत से बाहर आना होगा।  उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘समावेशी सुधारों पर सांप्रदायिक वार ठीक नहीं है।

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