India News (इंडिया न्यूज), Bathinda Qila Mubarak, चंडीगढ़ : पंजाब का बठिंडा इसके सबसे पुराने शहरों में से एक है। इसका निर्माण 7000 ईसा पूर्व हो चुका था। यह शहर कभी ऐतिहासिक और धार्मिक केंद्र के रूप में दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। हम जिस बठिंडा को आज देख रहे हैं उसका निर्माण भी आज से कई सौ साल यानि 965 ईस्वी में हो चुका था। उस समय इस शहर को बसाने वाला एक भाटी राजपूत राजा बाला राव भट्टी था।
यह शहर अपने ऐतिहासिक स्थलों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यह वही शहर है जहां पर सिख धर्म के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। बठिंडा में बहुत सारे ऐतिहासिक स्थल हैं जिसमें किला मुबारक बठिंडा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है जिसे देखने के लिए पूरा साल विश्वभर से लाखों लोग पहुंचते हैं।
किला मुबारक को कभी तबार-ए-हिंद या भारत के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता था। इस किले के निर्माण के बारे में पुरातत्व विभाग का मानना है कि इसका निर्माण 90 से 110 ईस्वी के बीच किया गया था जो भारत के सबसे पुराने किले में से एक है। बता दे इस किले को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में मान्यता प्राप्त है और इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बनाए रखा गया है।
राजा डब द्वारा किया गया था, जो वेना पाल के पूर्वज थे। किला मुबारक ने कई लड़ाइयों और आक्रमणों के गवाह के रूप में काम किया। किला मुबारक के निर्माण का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि हूण सम्राट कनिष्क के राज्य पर आक्रमण न करें। 11 वीं शताब्दी में राजा जयपाल द्वारा आत्महत्या करने के बाद, महमूद गजनी ने इस शानदार किले पर कब्जा कर लिया। दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह, ने भी वर्ष 1705 में किला मुबारक का दौरा किया था। बाद में किले के भीतर एक गुरुद्वारा का निर्माण किया गया था। महाराजा अला सिंह ने 17वीं ईस्वी में किले पर कब्जा कर लिया और किले का नाम बदलकर फोर्ट गोबिंदगढ़ रखा दिया।
किला मुबारक पंजाब के साथ-साथ भारत के सबसे प्राचीन किलों में से एक है। इसके साथ ही यह देश के सबसे ऊंचे किलों में से एक है। इसकी ऊंचाई 118 फीट है। इस किले का निर्माण छोटी ईंटों से किया गया है। इसके मुख्य परिसर के अंदर दो गुरुद्वारे भी हैं। रजिया सुल्तान को कैद करने के लिए जिस भव्य किले का निर्माण किया गया था, वह भी इस किले के अन्दर स्थित है।
यदि आप किला मुबारक घूमने जाने वाले है तो हम आपको बता दें कि किला सोमवार को सप्ताह के अन्य सभी दिन सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। आप इस दौरान कभी भी यहां घूमने आ सकते हैं। इसके साथ ही बतां दें कि किला देखने के लिए किसी तरह की कोई एंट्री फीस नहीं है। आपको केवल एक बात का ध्यान रखना होगा की आप यहां घूमते समय किले को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाएं।
दरअसल बठिंडा पहुंचने के लिए आपको हवाई सेवा का लाभ नहीं मिल सकता। क्योंकि इसके सबसे नजदीक चंडीगढ़ एयरपोर्ट पड़ता है जिसकी बठिंडा से दूरी लगभग 146 किलोमीटर है। आप चंडीगढ़ तक हवाई जहाज के माध्यम से पहुंच सकते हैं इसके बाद वहां से टैक्सी के द्वारा बठिंडा पहुंचा जा सकता है। यदि आप ट्रेन के माध्यम से यहां पहुंचना चाहते हैं तो आपको बतां दें कि बठिंडा में एक बड़ा जंक्शन है। यहां प्रतिदिन कई सुपरफास्ट, एक्सप्रेस ट्रेन सहित दर्जनों ट्रेन आती हैं। इसके अतिरिक्त आप सड़क मार्ग से आसानी से बठिंडा पहुंच सकते हैं।
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