इंडिया न्यूज, National News: ऑटो ड्राइवर के बेटे विष्णु ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं क्लास में 95.33 परसेंट अंक प्राप्त किए। तीन दिन पहले विष्णु को उसका रिजल्ट मिला तो घर वालों की आंखों से आंसू रोके न रुके। राज्यभर में हैंडीकैप्ड श्रेणी में परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स में विष्णु टॉपर लिस्ट में है। विष्णु के मामा गौतम शर्मा ने बताया कि किन्हीं कारणों की वजह से विष्णु का रिजल्ट अन्य स्टूडेंट्स के साथ घोषित नहीं हो सका।
दो दिन पहले उसे मार्कशीट मिली तो पता चला कि उसने छह में से पांच सब्जेक्ट में 90 से ज्यादा अंक लिए हैं। साइंस और मेथ्स में उसने 99-99 अंक प्राप्त किये है। हिन्दी में 96, सोशियल साइंस में 94 और संस्कृत में 95 अंक लिए हैं। सिर्फ अंग्रेजी में 89 मार्क्स है।
बीकानेर के दियातरा गांव के जसराज के घर जन्मे विष्णु से घर में ख़ुशी का माहौल बन गया। कुछ समय बाद पता चला कि उसे कुछ दिखाई नहीं देता। वो जन्म से ही नेत्रहीन था। ऐसे में उसके लिए पढ़ना मुश्किल हो गया। दूसरी क्लास में उसे बीकानेर के सरकारी नेत्रहीन स्कूल में एडमिशन दिलाया। तब से लेकर अब तक वो इसी स्कूल का स्टूडेंट है। अब उसके माता-पिता भी दियातरा से बीकानेर शहर में आ गए। होशियार होने के कारण विष्णु जल्दी पढ़ना सीख गया।
अगर आप अपनी आंख बंद करके विष्णु को पढ़ते हुए सुनेंगे तो कहीं से नहीं लगता कि वो दिव्यांग है। वो इतनी तेज गति से किताब पढ़ता है कि सामान्य स्टूडेंट्स भी नहीं पढ़ पाते। हिन्दी माध्यम के स्टूडेंट विष्णु का कहना है कि ब्रेल पद्धति से ही वो पढ़ाई की हर जंग जीतते हुए एक दिन IAS बनना चाहता है।
विष्णु के पिता जसराज एक ऑटो ड्राइवर है। ऑटो चालक होने के कारण वो अपने बेटे को सभी खुशियां तो नहीं दे सकते, लेकिन बेटे ने अपनी क्षमता से कई गुना खुशियां जसराज और मां कमला को दी है। उसके मां-बाप उसके रिजल्ट से बहुत खुश है।
विष्णु को बचपन से क्रिकेट का शौक है। ब्रेल गेंद से वो अच्छा क्रिकेट खेल लेता है। उसे क्रिकेट के बारे में भी काफी जानकारी है। धोनी और विराट कोहली का वो फैन है। फ्री टाइम में चैस खेलते हुए वो अच्छे खासे खिलाड़ियों को पछाड़ देता है।
स्कूल प्रिंसिपल अल्ताफ अहमद खान ने बताया कि विष्णु बेहद होनहार है। प्रदेशभर के दिव्यांग स्टूडेंट्स में उसका रिजल्ट टॉप ही रहा होगा, हालांकि अधिकृत रिपोर्ट नहीं आई है। प्रदेश में नेत्रहीन स्टूडेंट्स को पढ़ाने वाले केवल चार स्कूल है। इसमें बीकानेर के अलावा जोधपुर, अजमेर व उदयपुर में भी नेत्रहीन बच्चों के लिए स्कूल है। कुछ निजी संस्थाएं भी नेत्रहीन स्टूडेंट्स को पढ़ाने का काम करती है।
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