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Black Box In MI-17 कैसे हुआ हादसा, ब्लैक बॉक्स से मिल सकेगी जानकारी

• LAST UPDATED : December 9, 2021

इंडिया न्यूज।

सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) के हेलीकॉप्टर (Mi-17 Helicopter Crash) का ब्लैक बॉक्स (Black Box) सुरक्षित निकाल लिया गया है। इससे अब डेटा निकाल के पता लगाया जाएगा कि आखिर ये हादसा कैसे हुआ? ब्लैक बॉक्स क्या है और इससे हादसे के बारे में कैसे पता लगाया जाता है। आज हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे कि आखिर ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है? ब्लैक बॉक्स नारंगी रंग का होता है और इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाता है। ब्लैक बॉक्स कंप्रेसर के आकार की डिवाइस है। इसे नारंगी यानी ऑरेंज रंग से रंगा जाता है ताकि यह आसानी से दिखाई दे सके।

Bipin Rawat Helicopter Black Box Recovered दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर का ‘ब्लैक बॉक्स’ बरामद

आस्ट्रेलिया ने किया था ब्लैक बॉक्स का आविष्कार Australia invented the black box

What is a Black Box Mystery Behind GEN Bipin Rawats Helicopter Crash

1950 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वारेन ने इसका आविष्कार किया था। उस वक्त उन्होंने बताया था कि हवाई दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करने के लिए सभी वाणिज्यिक एयरलाइन और सशस्त्र बलों के लिए कॉकपिट ध्वनियों और डेटा से सुराग को संरक्षित करने के लिए एक ब्लैक बॉक्स अनिवार्य है।

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आखिर कितना वजन होता है ब्लैक बॉक्स का? weight of Black Box

एक सामान्य ब्लैक बॉक्स का वजन लगभग 10 पाउंड (4.5 किलो) होता है।

ब्लैक बॉक्स के अंदर लगे डिवाइज से मिलती है अहम जानकारी

How does a black box work: ब्लैक बॉक्स के चार मुख्य भाग होते हैं। इसमें सबसे अहम है डिवाइस को ठीक करने और रिकॉर्डिंग और प्लेबैक की सुविधा के लिए डिजाइन किया गया चेसिस या इंटरफेस। What is a Cockpit Voice Recorder: इसमें पानी के नीचे लोकेटर बीकन होता है। स्टेनलेस स्टील या टाइटेनियम से बना कोर हाउसिंग या ‘क्रैश सर्वाइवेबल मेमोरी यूनिट’ है। इससे सारी जानकारी मिलती है। इसी के अंदर सर्किट बोर्ड होते हैं और रिकॉर्डिंग चिप्स होती हैं, जिसमें सारी जानकारी, आवाज आदि रिकॉर्ड होती है।

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ऐसे सुनी जाती है रिकॉर्डिंग

एक्सपर्ट ब्लैक बॉक्स को सावधानीपूर्वक साफ करते हैं। आडियो या डेटा फाइल को डाउनलोड और कॉपी किया जाता है। ग्राफ में बदलने से पहले इसे फाइलों से डीकोड किया जाता है। इसके बाद बताया जा सकता है कि दुर्घटना कैसे हुई?

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ये होती है ट्राई सर्विस इंक्वायरी TRAI Service Inquiry

ट्राई सर्विस इन्क्वायरी यानी सेना की तीनों सेवाएं (थल,जल और वायु) मिलकर हादसे की जांच करेंगी। इसकी अगुवाई एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह करेंगे।

कैसे की जाएगी जांच?

  • जांच दल का गठन होने के बाद पहला काम कै्रश साइट के इन्वेस्टिगेशन का होगा। जांच दल हादसे की जगह पर जाएगा और जहां हेलिकॉप्टर कै्रश हुआ उस इलाके की बारीकी से जांच करेगा। आसपास की जगहों से विमान का छोटे से छोटा मलबा कलेक्ट किया जाएगा। इससे ये पता लगेगा कि विमान हवा में था उसी दौरान कुछ हुआ या टकराकर गिरा। मान लिया जाए कि हादसे की जगह से 500 मीटर दूर हेलिकॉप्टर को कोई हिस्सा पड़ा है इसका मतलब हुआ कि विमान में 500 मीटर दूर ही गड़बड़ आ गई थी, उसके बाद क्रैश हुआ। अगर हादसे की जगह के अलावा ज्यादा दूर तक कोई मलबा नहीं मिला इसका मतलब हुआ कि विमान सीधा जा टकराया।           Connect With Us: Twitter Facebook