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सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) के हेलीकॉप्टर (Mi-17 Helicopter Crash) का ब्लैक बॉक्स (Black Box) सुरक्षित निकाल लिया गया है। इससे अब डेटा निकाल के पता लगाया जाएगा कि आखिर ये हादसा कैसे हुआ? ब्लैक बॉक्स क्या है और इससे हादसे के बारे में कैसे पता लगाया जाता है। आज हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे कि आखिर ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है? ब्लैक बॉक्स नारंगी रंग का होता है और इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाता है। ब्लैक बॉक्स कंप्रेसर के आकार की डिवाइस है। इसे नारंगी यानी ऑरेंज रंग से रंगा जाता है ताकि यह आसानी से दिखाई दे सके।
Bipin Rawat Helicopter Black Box Recovered दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर का ‘ब्लैक बॉक्स’ बरामद
1950 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वारेन ने इसका आविष्कार किया था। उस वक्त उन्होंने बताया था कि हवाई दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करने के लिए सभी वाणिज्यिक एयरलाइन और सशस्त्र बलों के लिए कॉकपिट ध्वनियों और डेटा से सुराग को संरक्षित करने के लिए एक ब्लैक बॉक्स अनिवार्य है।
एक सामान्य ब्लैक बॉक्स का वजन लगभग 10 पाउंड (4.5 किलो) होता है।
How does a black box work: ब्लैक बॉक्स के चार मुख्य भाग होते हैं। इसमें सबसे अहम है डिवाइस को ठीक करने और रिकॉर्डिंग और प्लेबैक की सुविधा के लिए डिजाइन किया गया चेसिस या इंटरफेस। What is a Cockpit Voice Recorder: इसमें पानी के नीचे लोकेटर बीकन होता है। स्टेनलेस स्टील या टाइटेनियम से बना कोर हाउसिंग या ‘क्रैश सर्वाइवेबल मेमोरी यूनिट’ है। इससे सारी जानकारी मिलती है। इसी के अंदर सर्किट बोर्ड होते हैं और रिकॉर्डिंग चिप्स होती हैं, जिसमें सारी जानकारी, आवाज आदि रिकॉर्ड होती है।
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एक्सपर्ट ब्लैक बॉक्स को सावधानीपूर्वक साफ करते हैं। आडियो या डेटा फाइल को डाउनलोड और कॉपी किया जाता है। ग्राफ में बदलने से पहले इसे फाइलों से डीकोड किया जाता है। इसके बाद बताया जा सकता है कि दुर्घटना कैसे हुई?
Bipin Rawat India’s First CDS देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत
ट्राई सर्विस इन्क्वायरी यानी सेना की तीनों सेवाएं (थल,जल और वायु) मिलकर हादसे की जांच करेंगी। इसकी अगुवाई एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह करेंगे।