इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Child Vaccine in India: ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना की 2 नई वैक्सीन और एक एंटीवायरल ड्रग्स के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी। स्वाथ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इस फैसले पर देश को बधाई दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो वैक्सीन कोबेर्वैक्स, कोवोवैक्स और एंटी-वायरल ड्रग मोलनुपिराविर के इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी है। इससे पहले, अगस्त में कैडिला की जायकोव-डी के डीएनए वैक्सीन को भी मंजूरी मिली थी।
15-18 साल के बच्चों को लगेगी वैक्सीन (Child Vaccine in India)
- 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने 15 से 18 साल की उम्र के बच्चों और किशोरों का 3 जनवरी 2022 से कोरोना वैक्सीनेशन किए जाने का ऐलान किया था। इसके साथ ही भारत दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल हो गया है कि जहां बच्चों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
- देश में वर्तमान में 15-18 की उम्र के बच्चों की संख्या करीब 10 करोड़ है। बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू किए से स्कूलों के फिर से सामान्य ढंग से चलने में मदद मिलेगी और स्कूल जाने वाले बच्चों को लेकर माता-पिता की चिंता कम होगी।
बच्चों को कौन सी लगेगी वैक्सीन? (Child Vaccine in India)
कोविन प्लेटफॉर्म के प्रमुख डॉ. आरएस शर्मा के मुताबिक, सरकार ने फिलहाल 15-18 साल की उम्र के बच्चों और किशोरों के लिए भारत बायोटेक की को-वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत दी है। आपको बता दें कि सरकार ने कैडिला की जायकोव-डी वैक्सीन को 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए इस्तेमाल की फिलहाल अनुमति नहीं दी है। यानी 3 जनवरी से 15-18 साल के बच्चों को भारत बायोटेक की को-वैक्सीन लगाई जाएगी।
कैसे होगा वैक्सीनेशन का रजिस्ट्रेशन?
- 15-18 साल के बच्चों के 3 जनवरी से शुरू होने वाले वैक्सीनेशन के लिए सरकार ने अब तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। कोविन प्लेटफॉर्म के प्रमुख डॉ. आरएस शर्मा के मुताबिक, बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए एक जनवरी 2022 से कोविन प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कराया जा सकेगा। (children covid 19 vaccine)
- कोविन पर बच्चों के वैक्सीनेशन के रजिस्ट्रेशन के लिए आधार या अन्य आइडेंटिटी प्रूफ नहीं होने पर 10वीं का आईडी कार्ड इस्तेमाल करने की भी इजाजत होगी। कोविन प्लेटफॉर्म से बच्चों के लिए वैक्सीनेशन बुक करने का बाकी तरीका वयस्कों के लिए रजिस्ट्रेशन जैसा ही होगा।
क्यों जरूरी है बच्चों का वैक्सीनेशन? (Child Vaccine in India)
- भारत में अब तक 61 फीसदी वयस्क आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लगी है। यानी देश की एक बड़ी आबादी फुली वैक्सीनेटेड नहीं है, ऐसे लोगों के आसपास रहने वाले बच्चों को संक्रमण का ज्यादा खतरा है, इसलिए वैक्सीनेशन शुरू करने की जरूरत है।
- रिसर्च से पता चला है कि कोरोना वैक्सीन से बच्चों को कोविड-19 से संक्रमित होने से रोकने में मदद मिलती है। कोरोना वैक्सीन से बच्चों में गंभीर बीमारियों, हॉस्पिटलाइजेशन, लंबे समय तक रहने वाले हेल्थ इश्यूज और मौत का खतरा कम होता है।
- बता दें उन बच्चों के लिए वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है, जो कोविड-19 के हाई रिस्क ग्रुप का हिस्सा हैं। यानी मोटापा, डायबिटीज या अस्थमा से जूझ रहे ऐसे बच्चे, जिन्हें कोविड-19 से गंभीर बीमार होने का ज्यादा खतरा है, उनके लिए भी वैक्सीनेशन जरूरी है। कोविड-19 से ज्यादा संक्रमित इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन जरूरी है।
- साउथ अफ्रीका में ओमिक्रॉन की वजह से 5 साल से कम उम्र के बच्चों में हॉस्पिटलाइजेशन रेट बढ़ा है। ऐसे में भारत में ओमिक्रॉन को देखते हुए बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू करना एक जरूरी कदम है। बच्चों के वैक्सीनेशन से उनके स्कूल जाने और खेल और अन्य भीड़-भाड़ से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेना सुरक्षित होता है।
- भले ही कोरोना से बच्चों में कम गंभीर लक्षण दिखते हैं, लेकिन बच्चे इस वायरस के कैरियर बन जाते हैं। इसलिए भी बच्चों का वैक्सीनेशन जरूरी है।
वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट क्या हैं? (Child Vaccine in India)
- वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, बच्चों में कोरोना वैक्सीन से अब तक किसी गंभीर साइड इफेक्ट की रिपोर्ट नहीं है। हालांकि कुछ देशों में बच्चों में दिल की मांसपेशियों में सूजन के मामले सामने आए, लेकिन वो काफी कम हैं और ज्यादातर ठीक हो गए।
- बच्चों में आमतौर पर कोरोना वैक्सीन से होने वाले आम साइड इफेक्ट वयस्कों जैसे होते हैं। जैसे वैक्सीन लगवाने के बाद हाथ में दर्द, हल्का बुखार, थकान, सिर दर्द मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द जैसे आम साइड इफेक्ट।
- सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, बच्चों में वैक्सीन लगवाने के दो दिन के अंदर, वैक्सीन लगवाने से होने वाले आम साइड इफेक्ट दिखते हैं, जो 1-3 तीन दिन तक रहते हैं और ज्यादातर खुद ही ठीक हो जाते हैं।
- कोरोना वैक्सीन लगवाने के एक हफ्ते के अंदर अगर आपके बच्चे को सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत हो या सांस तेज चलने याद हार्ट बीट बढ़ने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत ही डॉक्टर की मदद लें।
- अमेरिका में 5 से 11 साल के बच्चों को फाइजर की एमआरएनए वैक्सीन लगाई जा रही है, जबकि भारत में 15-18 साल के बच्चों को कोवैक्सीन लगाई जानी है, जो कि इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है।
How effective are children’s vaccines?
- बच्चों में वैक्सीन की एफिकेसी को लेकर रिसर्च जारी है। हालांकि बच्चों की वैक्सीन को लेकर मौजूद कुछ स्टडी में सभी उम्र के बच्चों में वैक्सीन की एफिकेसी 90 फीसदी से ज्यादा रही। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, बच्चों में वैक्सीन की एफिकेसी भी लगभग वयस्कों में एफिकेसी जैसी ही रही।
- यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, 12 से 15 साल के बच्चों में वैक्सीन की दोनों डोज के बाद वैक्सीन की एफिकेसी 100 फीसदी रही। वहीं 16 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों में वैक्सीन की एफिकेसी 96 फीसदी तक रही।
- दरअसल, 5-11 साल के बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन की डोज 12-18 साल और वयस्कों को दी जाने वाली डोज से अलग होती है। बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन उनकी उम्र पर निर्भर करती है, न कि वजन पर।
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