India News, (इंडिया न्यूज), Water Cess Issue, चंडीगढ़ : जल विद्युत की 172 परियोजनाओं पर वाटर सेस को लेकर हरियाणा व हिमाचल में लगातार तनातनी बढ़ती जा रही है। हरियाणा के कहने पर केंद्र इस मुद्दे पर आया तो हिमाचल सरकार ने और तेवर कड़े कर लिए।
जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि हिमाचल की सुक्खू सरकार ने साफ कर दिया है कि जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाकर ही रहेगी। वहीं दूसरी और हरियाणा की मनोहर सरकार ने वाटर सेस देने से साफ इनकार कर दिया है। इस कारण दोनों हिमाचल और हरियाणा में कंट्रोवर्सी बढ़ती जा रही है।
बता दें कि हिमाचल सरकार ने इसी वर्ष मार्च में जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का फैसला लिया था। बाकायदा इसके लिए एक एक्ट भी बनाया गया, जिसका हरियाणा सरकार ने भी विधानसभा में इसके विरोध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया। इस मामले को लेकर ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू के बीच बातचीत हुई थी, लेकिन वाटर सेस को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई थी।
हिमाचल सरकार का साफ कहना है कि वाटर सेस खत्म तो नहीं किया जाएग, हां रेट थोड़ा कम किया जा सकता है। वहीं अगर समझौता होता है तो अनुमान लगाया जा रहा है कि पहले जहां प्रत्येक यूनिट पर एक रुपए से अधिक खर्च आना था और सालाना हरियाणा पर 336 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ना था। तो अब अब इसे 50 पैसे प्रति यूनिट कर दिया जाता है तो इससे हरियाणा पर करीब 150 करोड़ रुपए का भार ही पड़ेगा।
वहीं चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया का इस मामले में कहना है कि ज्वलंत मुद्दों पर दोनों ही प्रदेश सरकारों में संवाद होना जरूरी है। जब राज्य सरकारें एक मंच पर आकर वार्ता करेंगी तो सुलह भी जरूर बनेगा। क्योंकि बातचीत वह प्लेटफार्म है जहां मतभेद दूर होंगे।
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