India News (इंडिया न्यूज),Conversion in the name of Education,प्रयागराज : उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह दावा किया है प्रयागराज की सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एण्ड साइंसेज (SHUATS) ने विदेशं से मिले 34 करोड़ से ज्यादा रुपये का इस्तेमाल गरीबों का इसाई धर्मांतरण के लिए किया है।
एसएचयूएटीएस के निदेशक विनोद बिहारी लाल, कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य आरोपियों को अदालत से किसी भी राहत का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा, ये सभी लोग समाज में हाशिए पर रह रहे हिंदू व मुस्लिमों को प्रलोभन के जरिये या जबरन ईसाई धर्म में परिवर्तित कराने में शामिल हैं। हलफनामे के अनुसार, एसएचयूएटीएस को जो स्रोत अमेरिका, जापान, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी व इराक 34 करोड़ से ज्यादा पैसा मिला है। इस पैसे का इस्तेमाल गरीब तबके के लोगों ईसाई बनाने में लगाते थे
यह धंदा 2005 से चल रहा है। विदेशों से मिली धनराशि ये राशि यीशु दरबार ट्रस्ट को स्थानांतरित की जाती थी। इसके बाद चर्च और वहां से चर्च के लोगों व ब्रॉडवेड हॉस्पिटल को रकम दी जाती रही। हलफनामे में यह भी कहा है कि विभिन्न जगहों पर तलाशी के दौरान प्रचार सामग्री व दस्तावेज जब्त किए गए, जिसमें ईसाई धर्मांतरण के लाभों के साथ लोगों को लुभाने के लिए उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की सूची शामिल थी।
पुलिस के हलफनामे के अनुसार, प्रचार सामग्री में उल्लेख है कि ईसाई धर्म अपनाने पर 35 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके लिए प्रेरित करने पर बोनस भी मिलेगा। साथ ही, ईसाई धर्म का प्रचारक बनने पर 25 हजार मासिक वेतन व पांच से 10 लोगों का धर्मांतरण कराने पर और अधिक बोनस मिलेगा।
हलफनामे के मुताबिक, धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया 40 दिन में पूरी होती है। मिशनरी अस्पतालों के रोगियों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है। अस्पताल के कर्मचारी इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं।
पुलिस का हलफनामे में दावा है कि इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया, हरिहरगंज, फतेहपुर के पादरी ने अधिकारियों को बताया कि वह और उसके साथी हिंदुओं व मुसलमानों को प्रलोभन देकर धर्मांतरित कर रहे हैं। वे इस मकसद के लिए दस्तावेज में नामों का हेरफेर भी करते हैं।
आरोपियों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट की है रोक…सुप्रीम कोर्ट ने एसएचयूएटीएस के कुलपति और निदेशक की गिरफ्तारी रोक लगा दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इन्कार किया था। आरोपियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब एक बार फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इसकी सुनवाई करेगा।