इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Cryptocurrency Bill भारत में जल्द ही प्राइवेट कंपनियों द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगने की सुगबुगाहट सी नजर आ रही है। इस खबर के बाद से क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले भारतीय निवेशकों में चिंता बढ़ना जायज है। केंद्र सरकार 29 नवम्बर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन आहफ आफिशियल डिजिटल करेंसी बिल-2021 पेश करेगी।
संसद के इस सत्र के लिए कुल 26 विधेयक सूचीबद्ध किए गए हैं, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी बिल और तीन कृषि कानून को वापस लेने वाला विधेयक शामिल है। अब रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया अपनी खुद की डिजिटल करेंसी जारी करेगा। सरकार आरबीआई की ओर से जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा भी तैयार करेगी और भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाएगी।
भारत में लगभग 8 प्रतिशत लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया हुआ है और अगर बात की जाए तो इनमें से एवरेज 9000 रुपए हर निवेशक के लगे हुए हैं। इसमें सबसे अधिक 18 से 35 साल के युवा हैं जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया हुआ है, क्योंकि आज के युवा रातों रात अमीर होने का सपना देखते हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि सभी लोकतांत्रिक देशों को इस पर मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा था कि हमें ऐसी कोशिश करनी चाहिए कि यह क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में न जाए। प्रधानमंत्री के बयान के बाद से ये कयास लगने शुरू हो गए थे कि क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में बैन लग सकता है। वहीं हाल ही में जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में संसदीय समिति की बैठक हुई थी जिसमें विभिन्न हितधारकों के साथ क्रिप्टो फाइनेंस और क्रिप्टोकरेंसी के गुण-दोष पर चर्चा की थी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी केंद्रीय बैंकों के नियमन के दायरे में नहीं आती है। ऐसे में किसी वित्तीय प्रणाली के लिए ये बड़ा जोखिम है। इस पर गंभीरता से विचार की जरूरत है। दास ने पिछले हफ्ते कहा था कि कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। इसमें कई बड़े मुद्दे शामिल हैं। इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है।
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