India News (इंडिया न्यूज),LG Application Rejected, नई दिल्ली: अहमदाबाद के मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को एक आपराधिक मुकदमे में प्रतिरक्षा देने से इंकार दिया। दिल्ली के एलजी ने प्रतिवेदन दिया था कि वो इस समय राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर दिल्ली के उप राज्यपाल हैं, इसलिए उन्हें मुकदमे का सामना कर से प्रतिरक्षा दी जाए।
अतिरिक्त महानगर न्यायाधीश पीएन गोस्वामी ने दिल्ली के उप राज्यपाल की ओर से भेजी गई अर्जी खारिज कर दी और मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया है।
दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना, भाजपा के दो विधायक अमित पी शाह और अमित डी ठाकर, और एक कांग्रेस नेता रोहित एन पटेल 2002 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम में मेधा पाटकर पर हमला करने के आरोपों का सामना कर रहे हैं। साबरमती पुलिस थाने में सक्सेना और तीन अन्य पर ग़ैरक़ानूनी तरीके से जमा होने, हमला करने, गलत तरीके से रोकने, आपराधिक धमकी देने समेत अन्य आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
इसी साल मार्च में, दिल्ली के एल-जी ने एक आवेदन दायर किया था जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया था कि जब तक वह अपने वर्तमान पद पर बने रहेंगे, तब तक उनकी सुनवाई स्थगित रहेगी। सक्सेना ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही तब तक जारी नहीं रखी जा सकती जब तक कि वह संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार एलजी के पद पर बने रहते हैं। संविधान के भाग -2 में कहा गया है, “राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई भी आपराधिक कार्यवाही शुरू या जारी नहीं रखी जाएगी।” सक्सेना ने कहा कि कि संवैधानिक प्रावधान के मद्देनजर, उनके खिलाफ कार्यवाही “अलगाव या आस्थगन में” तब तक होनी चाहिए जब तक कि वह “न्याय के हित में” अपने वर्तमान पद पर बने रहें।
सक्सेना ने यह भी तर्क दिया कि दिल्ली एलजी की स्थिति राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के राज्यपालों से अधिक है क्योंकि “राज्य के राज्यपाल को केंद्र सरकार द्वारा चुना जाता है और भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।”
इस बीच, पाटकर ने आवेदन का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि दिल्ली एलजी का पद भारत के राष्ट्रपति का केवल एक “एजेंट” है और इसलिए वह प्रतिरक्षा का दावा नहीं कर सकता है। उसने यह भी आरोप लगाया है कि राज्य सरकार आवेदन पर कोई जवाब न देकर सक्सेना की “अप्रत्यक्ष रूप से” मदद कर रही थी।
65 वर्षीय सक्सेना मई 2022 में दिल्ली एल जी बने। इससे पहले, वह 2015 से खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे थे। वह एक एनजीओ-नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज (एनसीसीएल) भी चलाते हैं। सरदार सरोवर परियोजना को लेकर मेधा पाटकर और सक्सेना के बीच अनबन रही है और दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ कानूनी मामला दायर किया है।
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