होम / Petitioner Reached to Seek Justice: 19 साल पहले डिसमिस हो चुकी याचिका, न्याय मांगने पहुंचा याचिकाकर्ता, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार और 10 हजार के जुर्माने के साथ याचिका कर दी खारिज

Petitioner Reached to Seek Justice: 19 साल पहले डिसमिस हो चुकी याचिका, न्याय मांगने पहुंचा याचिकाकर्ता, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार और 10 हजार के जुर्माने के साथ याचिका कर दी खारिज

• LAST UPDATED : May 6, 2023

India News (इंडिया न्यूज),Petitioner Reached to Seek Justice,दिल्ली : सन 2004 में डिसमिस हो चुके एक केस को सुप्रीम कोर्ट में दोबारा उठाने पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता और उसके वकील पर नाराजगी जाहिर की और 10 हजार रुपये के जुर्माने के साथ याचिका को खारिज कर दिया।

यह याचिका एक ऐसे व्यक्ति की ओर से थी जिसे सरकारी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया था। उस वक्त सरकार के आदेशों के खिलाफ वो निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गया और सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी याचिका को खारिज कर दिया था। लगभग 19 साल बीतने के बाद उसी शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत फिर से याचिका डाल कर न्याय करने की मांग की थी। उसका कहना था कि उसे गलत तरीके से बर्खास्त किया गया और फिर केस बंद कर दिया गया।

याचिका सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ के समक्ष पेश हुई। मामला समझने के बाद पीठ ने टिप्पणी की कि किसी भी जुडीशियल सिस्टम में ऐसा कहीं नहीं हो सकता कि जिस मामले को सुप्रीम कोर्ट डिसाइड कर चुका हो उसके बाद भी उसी मामले को बार-बार उठाया जाता रहे। “न्यायिक समय की पूरी बर्बादी” है।
दरअसल, याचिका पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका भी लगा चुका था। उसको भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने उपचारात्मक याचिका दायर नहीं की है बल्कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका दायर की है जिसमें दावा किया गया है कि उसके साथ अन्याय हुआ है और मामले को फिर से खोला जाना चाहिए।

संविधान का अनुच्छेद 32 व्यक्तियों को न्याय के लिए सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है जब उन्हें लगता है कि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। पीठ ने कहा कि इसलिए हम इस याचिका को जुर्माने के साथ खारिज करते हैं, हालांकि हम याचिकाकर्ता को बर्खास्त व्यक्ति मानते हुए लागत की राशि को सीमित करते हैं,”

पीठ ने निर्देश दिया कि 10,000 रुपये की लागत सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड वेलफेयर फंड में जमा की जाए, जिसका उपयोग सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) लाइब्रेरी के लिए किया जाएगा।

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