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Major Payal Chhabra : महिला सर्जन मेजर पायल छाबड़ा बनीं देश की पहली पैरा कमांडो

India News (इंडिया न्यूज़), Major Payal Chhabra, चंडीगढ़ : हरियाणा के जिला कैथल के कलायत की बेटी पायल छाबड़ा ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश का मान-सम्मान बढ़ाया है। जी हां, पायल छाबड़ा ने सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं में डॉक्टर रहते हुए प्रशिक्षित पैरा परीक्षा पास कर कमांडो बनने का गौरव हासिल किया। बड़ी बात यह है कि पूर्व में अभी तक कोई भी महिला सर्जन इस बड़ी उपलब्धि को हासिल नहीं कर सकी। मेजर पायल छाबड़ा देश के लेह लद्दाख के आर्मी अस्पताल में विशेषज्ञ सर्जन के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।

प्रधानमंत्री और महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत को मानती हैं रोल मॉडल

मेजर पायल छाबड़ा प्रदेश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ संदेश के संवाहक और सेना में महिलाओं की भागीदारी के पैरोकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के चिकित्सा सेवाओं (सेना) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह को अपना रोल मॉडल मानती है। पायल की इस उपलब्धि पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने ट्वीट के जरिए बधाई दी है। आपको बता दें कि इस पैरा कमांडो के लिए काफी जटिल प्रशिक्षण है। इसके लिए आगरा के एयरफोर्स ट्रेनिंग स्कूल में पैरा कमांडो का प्रशिक्षण होता है। इसके लिए उत्तम स्तर की शारीरिक और मानसिक फिटनेस का होना भी जरूरी है।

आर्मी अस्पताल अंबाला कैंट में भी दे चुकी हैं सेवाएं

मेजर पायल आर्मी अस्पताल अंबाला कैंट में 13 जनवरी 2021 को कैप्टन के तौर पर उन्हें पहली नियुक्ति मिली थी। इतना ही नहीं पायल विश्व में दूसरे सबसे ऊंचे खरदूंगला मोटर बाईपास स्थित सेना अस्पताल में भी सेवाएं दे चुकी हैं। बड़े भाई संजीव छाबड़ा और भाभी डॉ. सलोनी छाबड़ा ने बताया कि पूर्व में देश व विदेश के बहुत से नामी महानगरीय निजी मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पतालों ने बड़े आकर्षक पैकेज डॉ. पायल को ऑफर किए, लेकिन राष्ट्र सेवा का संकल्प उनके लिए अहम रहा।

पैरा कमांडो बनने की आसान नहीं डगर

आपको यह भी जानकारी दे दें कि पैरा कमांडो बनने का सफर आसान नहीं है। इसको लेकर प्रशिक्षण की शुरुआत सुबह तीन से चार बजे के बीच हो जाती है। अमूमन 20 से 65 किलोग्राम वेट (पिठू) लेकर 40 किलोमीटर तक दौड़ना और ऐसे अनेक जटिल टास्क को पूरा करना पड़ता है। जुनून विश्वास के साथ अभ्यास की पराकाष्ठा से गुजरता होता है। यही कारण है कि अधिकांश जवान चुनौती के सामने हिम्मत हार जाते हैं, लेकिन जिनके इरादे मजबूत होते हैं वे मुकाम पर पहुंचकर ही दम लेते हैं।

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Amit Sood

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