India News (इंडिया न्यूज),Forcible Seizure of Vehicles, पटना : पटना हाईकोर्ट कहा है कि कर्ज नहीं चुकाने वाले मालिकों से गाड़ियों की जबरन जब्ती गलत है। ये संविधान की ओर से दी गई जीवन और आजीविका के मौलिक अधिकार का सरासर उल्लंघन है। इस तरह की धमकाने वाली कार्रवाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि सिक्योरिटीज के प्रावधानों का पालन करते हुए वाहन ऋण की वसूली की जानी चाहिए। इसके लिए ग्राहकों के सुरक्षा हित को लागू करें। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने रिट याचिकाओं के एक बैच का निपटारा करते हुए, बैंकों और वित्त कंपनियों को लताड़ भी लगाई।
अदालत ने बिहार के सभी पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी भी वसूली एजेंट की ओर से किसी भी वाहन को जबरन जब्त नहीं किया जाए।
अदालत ने वसूली एजेंटों के जबरन वाहनों को जब्त करने के पांच मामलों की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। दोषी बैंकों-वित्तीय कंपनियों में से प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। अपने 53 पन्नों के फैसले में, न्यायमूर्ति रंजन ने सर्वोच्च न्यायालय के 25 से अधिक फैसलों का उल्लेख किया।
इसमें दक्षिण अफ्रीका के एक फैसले का भी जिक्र किया गया। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट किसी भी ‘निजी कंपनी’ के खिलाफ एक रिट याचिका पर सुनवाई कर सकता है, जिसकी कार्रवाई एक नागरिक को उसके जीवन और आजीविका के मौलिक अधिकार से वंचित करती है।
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