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Manmohan Singh का पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से ऐसा रिश्ता जो हर किसी को नहीं पता

BY: • LAST UPDATED : December 26, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Former PM Dr. Manmohan Singh  : भारत के 13वें और भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जवाहरलाल नेहरू के बाद से अपने पहले पांच साल के कार्यकाल को पूरा करने के बाद दोबारा चुने जाने वाले पहले प्रधानमंत्री थे। एक प्रसिद्ध भारतीय अर्थशास्त्री, मनमोहन सिंह, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार, आरबीआई के भूतपूर्व गवर्नर और भारत के योजना आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।

उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और परास्नातक की डिग्री पूरी की, और प्रथम छात्र के रूप में अपनी स्थिति में बेजोड़ बने रहे। वे नरसिंह राव की कैबिनेट में वित्त मंत्री थे और भारत की अर्थव्यवस्था को खुले बाजार प्रणाली में बदलने की दिशा में आगे बढ़ाने में प्रेरक शक्ति थे। भारत के सुधारों और इसकी वित्तीय नीतियों के प्रति उनका योगदान अद्वितीय है, और वे भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे प्रभावशाली वास्तुकार रहे हैं।

Former PM Dr. Manmohan Singh : पंजाब विश्वविद्यालय और ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की

उन्होंने अपनी शिक्षा चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय और ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी। इसके बाद, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। मनमोहन सिंह को भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख आर्किटेक्ट के रूप में जाना जाता है। 1991 में जब भारत आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में न केवल संकट से उबारने का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार में एक मजबूत स्थान दिलाया। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने कई महत्वपूर्ण आर्थिक और कूटनीतिक उपलब्धियां प्राप्त कीं।

कई सुधारों के जरिए देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलवाया

उनके नेतृत्व में भारत ने दुनिया के बड़े देशों के साथ संबंधों में सुधार किया और कई सुधारों के जरिए देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलवाया। उन्होंने भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान बनाई, जहाँ उनकी सरलता, शांत स्वभाव और विवेकपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता ने उन्हें लोगों के दिलों में जगह दिलाई। मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण योजनाएँ शुरू की गईं, जैसे ग्रामीण विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार। हालांकि उनकी छवि एक विवेकशील और शांत राजनीतिज्ञ की रही, वे अक्सर राजनीतिक विवादों से दूर रहते थे। उनके नेतृत्व में भारतीय राजनीति में एक स्थिरता और संतुलन बना रहा। उनका योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में हमेशा याद रखा जाएगा।

शिक्षा में गहरी रुचि

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का संबंध पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से गहरा है। उनका शैक्षिक और पेशेवर जीवन इस विश्वविद्यालय से जुड़ा हुआ है, जो उनके जीवन के महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है। डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के गुरदासपुर जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। शिक्षा में गहरी रुचि रखने वाले मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अपनी स्नातकोत्तर (मास्टर) की डिग्री प्राप्त की।

पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ को 3500 पुस्तकें भेंट की थी

पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में उनका जीवन एक प्रेरणा बन गया। यहां उन्होंने अर्थशास्त्र में अपनी गहरी रुचि को विकसित किया और उस समय के प्रमुख अर्थशास्त्रियों से प्रेरणा ली। मनमोहन सिंह के अध्यापक और सहपाठी उन्हें एक समर्पित, मेहनती और प्रगति के प्रति प्रतिबद्ध छात्र के रूप में याद करते थे। उनका लगन और परिश्रम उन्हें जल्दी ही शैक्षिक और अकादमिक क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया। वर्ष 2018 में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ को 3500 पुस्तकें भेंट की थी।

इस यात्रा ने उन्हें देश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बना दिया

पंजाब विश्वविद्यालय में बिताए गए वर्षों ने उन्हें न केवल एक अच्छे अर्थशास्त्री के रूप में आकार दिया, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर सोचने और समझने की क्षमता भी दी। यहां की शिक्षा ने उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद की, जिससे भविष्य में वे भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और फिर प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे।

मनमोहन सिंह की यात्रा पंजाब विश्वविद्यालय में एक साधारण छात्र से शुरू होकर एक समर्पित अर्थशास्त्री बनने तक की थी, और उनके इस यात्रा ने उन्हें देश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बना दिया। आज भी पंजाब विश्वविद्यालय का नाम उनके साथ जुड़ा हुआ है, और उनका योगदान देश के शिक्षा और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अमूल्य है।

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