इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Gutkha-Tobacco Sold In Country Even After The Ban: इंडिया न्यूज (India News) ने नशे के खिलाफ आवाज उठाई है। तंबाकू-गुटखा (Gutkha-Tobacco) एक धीमा जहर है जो इसका सेवन करने वाले हर व्यक्ति को धीरे-धीरे अंदर से खोखला करता जाता है। इससे कैंसर (cancer) जैसी जानलेवा बीमारियां हो जाती हैं। इसके बावजूद अक्सर लोग हर गली कूचे में इसका सेवन करते देखे जाते हैं। रोजाना गुटखा-तंबाकू से हजारों की संख्या में लोग बीमार हो रहे हैं। इससे मुंह खुलने में दिक्कत आती हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2006 से पहले गुटखा कंपनिया (gutkha companies) अपने प्रोडक्ट्स में तंबाकू मिलाती थी, लेकिन उस वर्ष 2006 में फूड सेफ्टी एक्ट (food safety act) में हुए बदलाव के हिसाब से किसी भी खाने की वस्तु में तंबाकू नहीं मिला सकते, पर गुटखा कंपनियों ने इसका भी हल निकाल लिया और पान मसाला बनाना शुरू किया और इसके साथ ही तंबाकू को अलग से बेचने लगीं।
दांत पीले, काले और लाल होने लगते हैं। इसी के साथ धीरे-धीरे दांव गलने भी लग जाते हैं। देश में रोज लाखों की संख्या में गुटखा-तंबाकू की बिक्री होती है। इस धीमें जहर से जहां अमीर लोग अपना इलाज करवा लेते हैं, वहीं गरीब मौत के मुंह में चले जाते हैं। गुटखा-तंबाकू का सेवन करने वाले हर साल लाखों लोग समय से पहले अपनी जान गंवा रहे हैं।
राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट (Rajiv Gandhi Cancer Institute) के साइंटिस्ट का कहना है कि गुटखा, खैनी, जर्दा का देश की एक तिहाई जनता सेवन करती है। उन्होंने कहा, गुटखे के अंदर 70 प्रकार के पदार्थ होते हैं। इसमे जर्दा सबसे ज्यादा हानिकारक होता है। जर्दे में पाया जाने वाला निकोटीन और गुटखे में मिले 70 पदार्थ शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। हमारे देश में मुंह का कैंसर बहुत कॉमन है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में दाखिल जनहित याचिका के अनुसार किसी भी फूड प्रोडक्ट में तंबाकू नहीं मिलाया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) ने इस पर कार्रवाई करते हुए रोक तो लगाई लेकिन गुटखा कंपनियों ने दोनों को अलग-अलग कर दिया और वे पान मसाला के नाम पर इसे बेचने लगीं। अगर गुटखा और तंबाकू सेहत के लिए हानिकारक है तो भारतीय संविधान (Indian Constitution) के आर्टिकल 47 के अंतर्गत सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि सेहत के लिए हानिकारक चीज को प्रोसेस किया जाए। 2006 में हुए फूड सेफ्टी एक्ट में बदलाव के बाद भी गुटखा कंपनिया नहीं मानी और अपने प्रॉडक्ट को बेचने के लिए दूसरे रास्ते निकल लिए।
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