नई दिल्ली : वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी सर्वे का काम शनिवार को एक दिन पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हुआ. इस दौरान तहखाने के पांचों कमरों का सर्वे किया गया. आगे भी वीडियोग्राफी जारी रहेगी. वहीं सर्वे के बाद जांच चल रही जगहों को फिर से बंद कर दिया गया है. वादी-प्रतिवादी पक्ष ने सर्वे के कार्य में पूरा सहयोग किया. आपको बताते हैं कि सर्वे के पहले दिन की कार्यवाही कैसी रही।
Gyanvapi Masjid Controversy – 52 लोगों की टीम गई अंदर
सुबह आठ बजकर 16 मिनट पर सर्वे की 52 टीम मस्जिद में पहुंची जिसके बाद उऩके हाथों में वीडियोग्राफी करने के लिेए कैमरे भी थे. ज्ञानवापी की सर्वे टीम में कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र, उनके साथ दो सहयोगी कोर्ट कमिश्नर, वादी प्रतिवादी पक्ष के लोग, डीजीसी सिविल, जिला प्रशासन के उच्चाधिकारी, सुरक्षाकर्मी, वीडियोग्राफर, फोटोग्राफर आदि शामिल थे. अंदर गई टीम के मोबाइल बाहर ही जमा करा लिए गए. फिर टीम तहखाने की तरफ बढ़ी. तहखाना जंजीरों और तालों से जड़ा हुआ था।
तहखाने की सफाई कराई गई, अंदर घुसने से पहले वजू किया
ताला तोड़ने के लिए कारीगर बुलाए गए थे. लेकिन इंतज़ामिया कमेटी ने उससे पहले ही तहखाने की चाभी दे दी. तहखाना इतना गंदा पड़ा हुआ था कि इसमें घुसा नहीं जा सकता था तो पहले इसकी साफ सफाई कराई गई. तहखाने में घुसने पहले वजू किया गया. फिर जूते चप्पल उताकर टीम तहखाने में घुसी. टीम टॉर्च और हैलोजन लाइट से सर्वे किया गया।
इस टीम को निर्देश मिले थे कि धार्मिक किताबों और मंत्रों को हाथ नहीं लगाया जाएगा. तहखाने में कुल 5 कमरे मिले जिसमें एक पर दरवाजा नहीं था. सर्वे के बाद उक्त स्थानों को फिर से सील कर दिया गया है. वादी-प्रतिवादी पक्ष ने सर्वे के कार्य में पूरा सहयोग किया. पूरे परिसर की वीडियोग्राफी के लिए विशेष कैमरा और लाइट की व्यवस्था की गई थी।
अंदर क्या मिला, किसी ने कुछ नहीं बताया
ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Masjid Controversy)से बाहर आने के बाद कोर्ट कमिश्नर और अन्य अधिवक्ताओं ने मीडिया के सामने कुछ भी नहीं बोला. कोर्ट का आदेश है इसलिए सर्वे से संबंधित कोई भी जानकारी मीडिया के सामने देने से सर्वे की टीम ने मना किया, जिसके बाद पुलिस ने सभी को वाहनों में बैठाकर काशी विश्वनाथ धाम से रवाना किया।
चप्पे-चप्पे पर फोर्स रही तैनात, छतों से की गई निगरानी
इस दौरान ज्ञानवापी परिसर के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही. एक किलोमीटर के दायरे में करीब 1500 से ज्यादा पुलिस-पीएसी के जवान तैनात रहे. ज्ञानवापी मस्जिद के 500 मीटर के दायरे में सभी दुकानों को बंद करा दिया था. इलाके में आने वाले हर किसी पर पैनी नजर रखी गई. डीजीपी और मुख्य सचिव पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रहे थे. अदालत के तय समय के मुताबिक ये सर्वे दोपहर 12 बजे तक चला. ये सर्वे जब तक पूरा नहीं हो जाता तबतक जारी रहेगा. इसकी रिपोर्ट 17 मई को अदालत के सामने पेश की जाएगी. सर्वे का काम कल यानी रविवार को फिर सुबह 8 बजे से शुरू होगा।
हिंदू पक्ष ने दावा- तहखानों में मिले मूर्तियों के भग्नावशेष
वहीं आज के सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि सारे साक्ष्य हमारे पक्ष में हैं. तहखानों में मूर्तियों के भग्नावशेष मिले हैं. हिंदू पक्ष ने कहा कि तहखाने में शरारती तत्वों ने मिट्टी भर दी थी उसे साफ किया गया. लिंगायत समाज में काशी में लिंग दान का प्रचलन है, तहखाने में उस परम्परा के टूटे लिंग मिले हैं।
पहले सर्वे को लेकर हुआ था हंगामा
गौरतलब है कि दिल्ली निवासी राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं ने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना की अनुमति देने और परिसर में स्थित विभिन्न विग्रहों की सुरक्षा का आदेश देने के आग्रह संबंधी याचिका दाखिल की थी. इस पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने 26 अप्रैल को एक आदेश जारी कर ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराकर 10 मई तक रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे. अदालत ने इसके लिए अजय मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था. इससे पहले 6 मई को सर्वे की कार्यवाही शुरू हुई थी, जो हंगामे के कारण 7 मई को रुक गई थी. सर्वे करने पहुंचे कोर्ट कमिश्नर और वादी पक्ष का मुस्लिम पक्ष ने विरोध कर दिया था।
9 मई को मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और उन्हें हटाने की मांग भी की. इसी को लेकर कोर्ट में तीन दिन बहस चली और फिर गुरुवार को वाराणसी की एक अदालत ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्र को हटाने संबंधी अर्जी को नामंजूर कर दिया. साथ ही विशाल सिंह को विशेष कोर्ट कमिश्नर और अजय प्रताप सिंह को सहायक कोर्ट कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी. जिसके बाद आज से ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम शुरू हुआ।
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