India News (इंडिया न्यूज), Hanuman Tithari, नई दिल्ली : भारत और श्रीलंका में पायी जाने वाली टिटहरी (हनुमान प्लोवर) को 86 साल बाद एक बार फिर से प्रजाति का दर्जा बहाल किया गया है और शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह कदम जोखिम वाले पर्यावासों को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
हिन्दुओं के देवता- हनुमान के नाम वाली और रोबिन के आकार की इस पक्षी को 1930 के दशक में केंटिस प्लोवर (केंट की ऐसी ही एक पक्षी) के साथ रखा गया था, क्योंकि दोनों प्रजातियों को एक समान समझा जाता था। हालांकि, डीएनए अनुक्रमण के परिणामों ने वैज्ञानिकों को उन समूहों के बीच सूक्ष्म अंतरों की पुष्टि करने का आधार प्रदान किया है, जो उन्हें एक-दूसरे से अलग करने के लिए पर्याप्त हैं।
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि प्रजाति को फिर से बहाल करने से संरक्षण निधि का इस्तेमाल क्षेत्र की संकटग्रस्त आर्द्रभूमि को बचाने में मदद के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये पर्यावास अत्यधिक जैव विविधता वाले हैं और प्रवासी पक्षियों को अत्यधिक सर्दियों के दिन काटने वाले स्थल (ओवरविंटरिंग साइट्स) प्रदान करते हैं।
एक प्रजाति में वैसी आबादी शामिल होती है, जो किसी अन्य प्रजाति के साथ सफलतापूर्वक अंतर्संकरण नहीं कर सकती है। एक उप-प्रजाति में एक प्रजाति के भीतर एक ऐसा समूह होता है, जो आमतौर पर भौगोलिक रूप से अन्य उप-प्रजातियों से अलग होता है। इस अध्ययन के सह-लेखक एलेक्स बॉण्ड ने कहा, ‘‘हालांकि हम नहीं जानते कि इस समय ‘हनुमान प्लोवर’ को खतरा है या नहीं, यह ऐसे क्षेत्र में रहता है जहां मानव जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है।’’
बॉण्ड ब्रिटेन में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में क्यूरेटर के पद पर कार्यरत हैं। बॉण्ड ने एक बयान में कहा, ‘‘इन पक्षियों के साथ एक नाम जुड़ जाने का मतलब है कि नीति निर्माताओं और राजनेताओं के लिए इन टिटहरियों को नोटिस करना और उनकी मदद के लिए आवश्यक कदम उठाना आसान होगा।’’
उन्होंने पाया कि इन पक्षियों में ‘केंटिश प्लोवर’ की तुलना में छोटे पंख, पूंछ और चोंच होती है। इनके पंखों में भी अंतर होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यद्यपि ‘केंटिश प्लोवर’ के नर एवं मादा पक्षियों के पैर काले होते हैं, लेकिन हनुमान प्लोवर में गहरे भूरे रंग के पैर होते हैं। नर हनुमान प्लोवर के माथे पर एक काली पट्टी होती है।
यह भी पढ़ें : Rahane back in Indian team : रहाणे की डब्ल्यूटीसी फाइनल के लिए भारतीय टीम में वापसी
यह भी पढ़ें : Osteoarthritis : ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार के लिए इंजेक्शन से दी जाने वाली नई कोशिका थैरेपी विकसित