पवन शर्मा, India News (इंडिया न्यूज), Pandu Pindara Tirth, जींद : हिंदू धर्म की मान्यताओं में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व माना गया है। बताया जाता है कि अकाल मौत का शिकार बनने वाले पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष में मौत की तिथि के दिन ही मरने वाले के निमित पूजा व दान करने के साथ-साथ भोजन भी करवाया जाता है।
पितरों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए जींद शहर के पूर्वी छोर पर स्थित पांडू पिंडारा तीर्थ का विशेष महत्व है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने भी पिंडारा के सोम तीर्थ में ही अपने पूर्वजों का पिंडदान किया था। हालांकि बता दें कि पांडवों को सोमवती अमावस्या के लिए 12 साल तक प्रतीक्षा करनी पड़ी थी।
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श्राद्ध पक्ष में पितरों के तपर्ण के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। सभी लोग अपने-अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पर पिंडदान करते हैं और जिनकी मृत्यु की जानकारी नहीं होती तो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन पिंडदान किया जाता है। यहां तीर्थ के चहुंओर अनेक धर्मशालाएं बनी हुई हैं, जिनमें लोग आसानी से रह सकते हैं।
पिंडारा तीर्थ पर पहुंचने के लिए रेलमार्ग या सड़क मार्ग दोनों ही काफी सुगम हैं। सड़क मार्ग से नए बस स्टैंड के ठीक सामने करीब आधा किलोमीटर दूरी पर तीर्थ है। वहीं पिंडारा गांव में ही रेलवे स्टेशन है। यहां पानीपत व सोनीपत से ट्रेन आती हैं। इसके अलाव जींद जंक्शन से सोनीपत व पानीपत वाली ट्रेन से यहां आसानी से आया जा सकता है।
राधा कृष्णा मंदिर अहिरका के महंत के अनुसार हिंदू धर्म में पितर पक्ष का काफी महत्व है। इसी प्रकार पिंडारा तीर्थ का महत्व भी काफी ज्यादा है। पांडवों को भी इसी तीर्थ में पिंडदान करने के लिए प्रेरित किया गया था। हालांकि पांडवों ने 12 साल तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा की थी लेकिन पिंडदान पिंडारा तीर्थ में ही किया था।
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