India News (इंडिया न्यूज), Jallianwala Bagh Amritsar, अमृतसर : गुरु की नगरी के नाम से मशहूर अमृतसर शहर में आज भी एक ऐसा स्थान है जहां अंग्रेजों के जुल्म की दांस्ता वहां का जर्रा-जर्रा बयान करता है। हम बात कर रहे हैं जलियांवाला बाग की। यह एक छोटा सा स्थल है जो शहर के बीचोबीच और गुरुद्वारा श्री हरिमंदिर साबि के नजदीक स्थित है। किसी समय यह खुला स्थान हुआ करता था। फिर एक ऐसी घटना घटी की आज ये देश विदेश के लाखों पर्यटकों की दर्शन स्थली बना हुआ है। यहां पर चारों तरफ अंग्रेजी सम्राज्य के दौर में भारतीयों पर हुए अत्याचार की मुंह बोलती तस्वीर है।
जलियांवाला बाग 1919 तक एक छोटा सा बागीचा था। इसे शहर के लोग भी अच्छे से नहीं जानते थे लेकिन 1919 में एक ऐसी घटना घटी की इसका नाम पूरी दुनिया के सामने आ गया। दरअसल बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सभा रखी गई, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे।
इस बात की जानकारी अंग्रेजी हकूमत को मिली तो ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर 90 ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया। वे सभी हथियारों के साथ थे और उन्होंने बाग को चारों तरफ से घेर लिया। इसके बाद अंग्रेज सेना ने निहत्थे लोगों पर फायरिंग शुरू कर दी। इस जघन्य अपराध में सैकड़ों भारतीय लोग असमय मौत का ग्रास बन गए। इस दौरान अंग्रेज सेना ने कुल 10 मिनट में 1650 राउंड गोलियां चलाई।
उस समय जलियांवाला बाग एक खाली जगह थी जो चारों तरफ से ऊंची इमारतों से घिरी हुई थी। इसमें जाने के लिए एक ही रास्ता था जहां पर अंग्रेज सेना हथियारों के साथ खड़ी थी। लोगों को जान बचाने के लिए कोई रास्ता दिखाई न दिया तो वे इस बाग में स्थित कुएं में कूदने लगे। इतिहासकारों का कहना है कि उस समय अकेले कुंए से ही सैकड़ों शव निकाले गए थे।
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में कितने लोग मारे गए इसको लेकर हमेशा संशय बरकरार रहा। इसको लेकर अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। बाग में लगी पट्टिका पर लिखा है कि 120 शव तो सिर्फ कुए से ही मिले।
अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। जबकि पंडित मदन मोहन मालवीय के अनुसार कम से कम 1300 लोग मारे गए। स्वामी श्रद्धानंद के अनुसार मरने वालों की संख्या 1500 से अधिक थी जबकि अमृतसर के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉक्टर स्मिथ के अनुसार मरने वालों की संख्या 1800 से अधिक थी।
जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित होने के कारण, अमृतसर के जलियांवाला बाग में प्रवेश नि:शुल्क है। चाहे आप कैमरे के माध्यम से कई मोबाइल सेल्फी क्लिक करना चाहते हों या घंटों के वीडियो रिकॉर्ड करना चाहते हों, कोई प्रतिबंध नहीं है। हालांकि, प्रदर्शनी कक्ष – शहीद दीर्घा में फोटोग्राफी प्रतिबंधित है। जलियांवाला बाग खुलने का समय सुबह 6:30 बजे से शाम 7:30 बजे तक है लेकिन मौसम, मौसम या छुट्टियों के आधार पर समय अलग-अलग हो सकता है।
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