जम्मू-कश्मीर की जांच एजेंसी और आपराधिक जांच विभाग ने समाज में घुल-मिलकर रहने वाले अपराधियों और आतंकवादियों की तलाश शुरू कर दी है, जिसके मद्देनजर यह अभियान चलाया गया था।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की खुफिया जानकारी की सहायता से राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) के जासूसों ने महीनों तक चुपचाप काम करते हुए लगभग तीन दशकों के बाद आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के मामलों में वांछित आठ आतंकवादियों को पकड़ लिया है।
विशेष अभियान शुरू किया हुआ
एसआईए ने अपने बड़े उद्देश्य और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का सफाया करने का लक्ष्य हासिल करने के तहत आतंकवाद से संबंधित मामलों में सभी भगोड़ों का पता लगाने और उन्हें अदालत के समक्ष पेश करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि कश्मीर में 417 और जम्मू में 317 सहित कुल 734 भगोड़ों में से 327 लोग आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) और आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) के मामलों में वांछित थे। एसआईए ने अब तक 369 भगोड़ों का सत्यापन और पहचान की है जिनमें से 215 जम्मू में और 154 कश्मीर में हैं।
369 सत्यापित भगोड़ों में से 80 की मौत हो चुकी
उन्होंने कहा कि 369 सत्यापित भगोड़ों में से 80 की मौत हो चुकी है, 45 पाकिस्तान या पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और अन्य देशों में रह रहे हैं, 127 का पता नहीं चल पाया है जबकि चार जेलों में हैं। पुलिस अधिकारी के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए आठ भगोड़े आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियों में शामिल थे और उन पर तीन दशक पहले डोडा जिले के विभिन्न पुलिस थानों में टाडा के तहत मामला दर्ज किया गया था तथा जम्मू की टाडा अदालत में आरोप-पत्र दायर किया गया था।
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