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JOSHIMATH: जोशीमठ मामाला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, शंकराचार्य ने दायर की याचिका

 

JOSHIMATH जोशीमठ में भूधसांव मामाले को लेकर SHANKRA CHARYA शंकराचार्य ने जनहित याचिका SUPREAM COURT सुप्रीम कोर्ट में दायर की है,जमींन धंसने को लेकर चिंता जताई।

 

अपने अधिवक्ता के माध्यम से दखिल की पीआईएल

जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव को लेकर चिंता जताते हुए सरकार से अपील की है कि वो जल्दी से जल्दी प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास की व्यवस्था करे। गौरतलब है कि जोशीमठ में जमीन दरकने को लेकर चमौली प्रशासन अब हरकत में आ गया है,एसडआरएफ की टीमो ने असुरक्षित घरों पर लाल निशान लगाकर पहचान कार्य शुरु कर दिया है,प्रशासन 65 परिवारों को सुरक्षित जगह भेज चुका है ।यहां अब तक लगभग 603 में दरारें प़ड़ चुकी है,और 100 से ज्यादा घर डेंजर ज़ोन में हैं।

भूधंसाव के कारण शिवलिंग में आई दरार

शंकराचार्य माधव आश्रम मंदिर का शिवलिंग भी इससे प्रभावित हुआ है,शिवलिंग में कई जगह दरारें आ गई हैं, मठ के  प्रवेश द्वार, लक्ष्मी नारायण मंदिर और सभागार में भी दरारें आ गई हैं,  टोटकाचार्य गुफा, त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी मंदिर और ज्योतिष पीठ शंकराचार्य की गद्दी का स्थान है। जेशीमठ में शुक्रवार को देवी का मंदिर गिर गया,मंदिर गिरने से जान माल का नुकसान तो नहीं हुआ लेकिन जिस मकान पर मंदिर गिरा उस मकान की छत में दरार आ गई है।

कैसे आया सुर्खियों में भू-धंसाव का मामला ?

सोमवार रात जब कई मकानों में दरारें आने लगीं तो लोगों मे डर का माहोल बनने लगा,और दरारें रोज़ ब रोज़ बढ़ने लगीं, मारवाड़ी वार्ड में स्थित जेपी कंपनी की आवासी कॉलोनी के पीछे पहाड़ी से देर रात मटमैले रंग के पानी का रिसाव होने लगा, और कालोनी का एक हिस्सा भी ढह गया। साथ ही बद्रीनाथ हाईवे पर भी दरारें पड़ गई हैं। सिंहधार वार्ड में बहुमंजिला होटल माउंट व्यू और मलारी इस तरह जमीन के धसने से तिरछे हो गए है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सोमवार को रात 10 बजे करीब दीवारों से चटकने की आवाज़े आने लगी थीं।

 भू-धंसाव के क्या कारण ?

कई रिपोर्ट्स की माने तो जेशीमठ भू-धंसाव की वजह गैरजरुरी कंस्ट्रक्शन,जल प्रवाह के नेचुरल बहाव में रुकावट,उपरी मिट्टी का कटाव और पानी का रिसाव है।

क्या पहले से थी खतरे की आशंका?

जोशीमठ की घटना भले ही आज जगजाहिर हुई है, लेकिन इसके खतरे को लेकर चेतावनी पहले ही दे दी गई थी। साल 1976 गढ़वाल के आयुक्त रहे एससी मिश्रा की अगुवाई में पहली बार जोशीमठ की जांच के लिए एक 18 सदस्यीय टीम बनाई गई। जिसने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की थी कि जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है…इसके साथ ही साल 2022 में स्थानीय लोगों के आग्रह पर सर्वे किया गया तो हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आए। रिपोर्ट में कहा गया कि अगर नगरीकरण और परियोजनाओं का काम विशेषज्ञता के साथ नहीं किया गया तो परिणाम खतरनाक हो सकते है।

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