India News (इंडिया न्यूज़), Kartikeya Sharma, चंडीगढ़ : राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा किसान के मुद्दों को सदन में लगातार उठा रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने सदन में सवाल पूछा कि क्या मंत्रालय द्वारा पंजाब और हरियाणा में फसल प्रतिस्थापन और विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए कोई उपाय किए गए हैं और क्या ऐसे उपायों से इन राज्यों में धान की खेती का प्रतिस्थापन हुआ है। साथ ही पूछा कि विगत पांच वर्षों के दौरान इन राज्यों में धान की खेती के क्षेत्र में क्या बदलाव आया है?
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने इसको लेकर सदन में जवाब दिया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग अधिक जल उपयोग से पैदा होने वाले धान की फसल के क्षेत्र को दलहन, तिलहन, मोटे अनाजों, पोषक अनाजों और कपास आदि जैसी वैकल्पिक फसलों में प्रतिस्थापित करने के लिए मूल हरित क्रांति वाले राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र पुनरुद्धार हेतु लाभकारी दृष्टिकोण (आरकेवीवाई-रफ्तार) के अंतर्गत फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सीडीपी) क्रियान्वित कर रहा है।
सीडीपी के तहत वैकल्पिक फसलों के प्रदर्शन, कृषि यंत्रीकरण और मूल्यवर्धन, स्थान विशेष गतिविधियों और जागरूकता एवं क्षमता निर्माण की आवश्यकता आदि के लिए सहायता दी जाती है। इसके अलावा, भारत सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत दलहन, मोटे अनाजों, पोषक अनाजों (श्रीअन्न) और कपास जैसी फसलों के विविध उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों के प्रयासों में सहयोग करती है। भारत सरकार आरकेवीवाई रफ्तार के तहत राज्यों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं/प्राथमिकताओं के लिए भी छूट प्रदान करती है। अपने-अपने राज्यों के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय मंजूरी समिति (एसएलएससी) के अनुमोदन से आरकेवीवाई के तहत फसल विविधीकरण को बढ़ावा दे सकते हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों की रिपोर्ट के अनुसार धान की खेती को वैकल्पिक फसलों जैसे दलहन, तिलहन, पोषक अनाजों, मोटे अनाजों, सब्जियों और बागवानी फसलों आदि में विविधता लाने के लिए वर्ष 2013-14 से 2022-23 तक पंजाब और हरियाणा राज्यों में सीडीपी के अंतर्गत 4,69,652 हेक्टेयर क्षेत्र में वैकल्पिक फसल प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं। जबकि पंजाब में धान की खेती वर्ष 2018-19 के 31.03 लाख हेक्टेयर से घटकर 2022-23 में 30.98 लाख हेक्टेयर हो गई है, तथापि हरियाणा में यह इसी अवधि के दौर 14.47 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 15.20 लाख हेक्टेयर हो गई है।
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