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Karwa Chauth 2024 : सुहागिनों का पर्व है करवा चौथ, जानें इतने बजे हो सकेगा चांद का दीदार

• LAST UPDATED : October 19, 2024
  • पर्व के दिन सुबह से ही सज धजकर तैयार हो जाती हैं महिलाएं

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Karwa Chauth 2024 : भारत त्योहारों का देश है। यहां पर त्योहार एक-दूसरे को जोड़े हुए हैं। ये त्योहार हमारी संस्कृति का भी प्रतीक हैं। सुहागिनों का त्योहार करवा चौथ 20 अक्तूबर यानि रविवार को मनाया जाएगा जिसको लेकर महिलाओं में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। विशेषकर नवविवाहित महिलाएं काफी उत्साहित हैं। हिंदू पंचांग की मानें तो कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस बार रात को 7.54 मिनट से लेकर 8 बजकर 18 मिनट के बीच चांद का महिलाएं दीदार कर सकेंगी।

Karwa Chauth 2024 : क्याें रखा जाता है यह व्रत

आपको बता दें कि करवा चौथ का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। साथ ही, इस दिन करवा माता की पूजा और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। चादं के दीदार होने पर ही महिलाएं अपना व्रत पूर्ण करती हैं

इस बार दो पूजन मुहूर्त

इस बार चतुर्थी तिथि रविवार सुबह 6.46 मिनट से शुरू होकर 21 अक्टूबर की सुबह 4.16 मिनट पर रहेगी। करवा चौथ के लिए दो पूजन मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त रविवार को सुबह 11.43 मिनट से लेकर दोपहर 12.28 मिनट तक रहेगा। उसके बाद दोपहर 1.59 मिनट से 2.45 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।

पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनने और सुनाने का विधान

ज्योतिषों का कहना है कि चांद निकलने से करीब 1 घंटा पूर्व पूजा शुरू करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक परिवार की सभी महिलाओं को एक साथ पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनें या एक-दूसरे को सुनाएं। करवा चौथ की पूजा के लिए इस बार केवल 1 घंटा 16 मिनट मिलेंगे। आप शाम 5.46 से लेकर 7.02 मिनट तक पूजा कर सकती हैं। शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 50 मिनट से 7 बजकर 28 मिनट तक है। वहीं शाम में 7.58 मिनट के बाद चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा करके अर्घ्य दे सकते हैं।

ऐसे करें व्रत की शुरुआत

आपको पुन: बता देंते हैं कि आखिर यह व्रत कैसे रखा जाता है। करवा चौथ का व्रत चौथ माता और चंद्र देवता की पूजा साथ ही की जाती है। सबे पहले सुबह सूर्योदय से पहले उठें और घर की सफाई करें। इसके बाद स्नान आदि कर पूजा करें। फिर सास द्वारा दिया भोजन करें। उसके बाद भगवान की पूजा कर निर्जला व्रत का संकल्प लें। यह व्रत सूर्यास्त के बाद चन्द्रमा के दर्शन के बाद अर्घ्य देकर ही संपन्न माना जाता है।

पानी की एक बूंद भी नहीं ले सकतीं

वहीं व्रत के बीच में जल भी ग्रहण नहीं करना होता। शाम में एक चौकी पर शुद्ध और कच्ची पीली मिट्टी की वेदी पर भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाकर लाल कपड़े पर स्थापना करें। पूजा की सामग्री में धूप, दीप रोली, चंदन व सिन्दूर आदि थाली में रखें। दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहे, ताकि वह पूरा समय जलता रहे।

दिनभर करें इनका जाम

  • व्रती महिलाएं निराहार रहकर दिनभर गणेश मंत्र का जाप करें।
  • पूजा के बाद करवा विवाहित महिलाओं को ही दे देना चाहिए।
  • व्रत करने वाली महिलाएं नमक वाला भोजन कदापि न करें।
  • कम से कम 12 या 16 साल व्रत तक करना चाहिए। इसके बाद उद्यापन करें।
  • रात को चांद का उदय होने के बाद विधिपूर्वक चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • चंद्रमा के साथ गणेश जी व चतुर्थी माता को भी अर्घ्य दें।

ऐसे करें चांद का दर्शन

  • थाली में फल, मेवे, मिष्ठान व रुपए वगैरह रखें।
  • थाली में रखी चीजें सास को देकर आशीर्वाद लें।
  • सास बहू को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दें।
  • दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चांद की पूजा करें
  • चंद्रमा के दर्शन छलनी से करें।

क्या नहीं खाना चाहिए

व्रत खोलने के बाद आपको भारी, आयली और ज्यादा मसालेदार खाना खाने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये फूड्स पाचन से जुड़ी समस्याओं को बढ़ावा दे सकते हैं। चाय या कॉफी जैसी पेय पदार्थों का सेवन करने से परहेज करें। उपवास खोलने के बाद, कच्ची सब्जियों का सेवन करने से बचें, क्योंकि ये पचाने में मुश्किल हो सकती हैं।
चिप्स, पैकेज्ड स्नैक्स और फास्ट फूड खाली पेट नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, इसलिए आप इन फूड्स को खाने से बचें और हेल्दी चीजों का सेवन करें।