इंडिया न्यूज़,(Madhya Pradesh High Court angry with ‘incompetent’ public prosecutors): मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में विधि सचिव, भोपाल को राज्य में अक्षम लोक अभियोजकों और सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति के संबंध में कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति दीपक कुमार अग्रवाल ने अक्षम राज्य वकील की वजह से मामलों की सुनवाई करते समय कठिनाइयों का सामना करने पर आश्चर्य व्यक्त किया।
आदेश में कहा गया है कि “यह आश्चर्य की बात है कि इस न्यायालय को मामलों की सुनवाई करते समय विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा अक्षम लोक अभियोजकों-सरकारी अधिवक्ताओं को नियुक्त किया जा रहा है जो मामलों पर ठीक से बहस नहीं कर रहे हैं और सहायक के तौर पर अदालत की सहायता नहीं कर रहे हैं।
दरअसल रेप के एक मामले में जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसे सुनील रावत और उसके दोस्त शादी का झांसा देकर झांसी ले गए, जिनमें से एक आवेदक था। मुख्य आरोपी कथित तौर पर उसे रायपुर ले गया जहां उसने एक कमरा किराए पर लिया और उसका यौन उत्पीड़न किया। इसके बाद उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया।
अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। यह कहा गया था कि आवेदक के खिलाफ एकमात्र आरोप यह था कि वह रेस्पॉन्डेंट और अभियुक्तों के साथ झांसी गया और उन्हें रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया। सरकार की ओर से पेश वकील मुकदमे के तथ्यों को कोर्ट के सामने ठीक से पेश नहीं कर पाए। आखिर में अदालत को आरोपी अपीलकर्ताको जमानत देनी पड़ी।
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