इंडिया न्यूज, मुंबई (Maharashtra-Karnataka land dispute): महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच दशकों से चला आ रहा भूमि विवाद अब एक बार फिर से गहरा गया है। ज्ञात रहे कि गत गुरुवार जहां कर्नाटक विधानसभा में विवादित जमीन और गांवों को कर्नाटक का अभिन्न हिस्सा बताते हुए विधानसभा में बिल पेश किया था। वैसा ही बिल एकनाथ शिंदे ने आज महाराष्ट्र विधानसभा में पेश किया।
जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसमें शिंदे ने कहा कि विवादित भूमि व उसपर बसे 865 गांव महाराष्टÑ का हिस्सा हैं। इन्हें पाने के लिए यदि सुप्रीमकोर्ट भी जाना पड़ा तो वे जाएंगे। शिंदे ने कहा कि इन गांवों में बसने वाले मराठा भाषी लोगों के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें महाराष्ट्र का हिस्सा बनाया जाए और उनके हित सुरक्षित रखे जाएं।
ज्ञात रहे कि आजादी के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच विवादित भूमि और उस बसे गांवों को लेकर विवाद होता रहा है। यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी है। महाराष्ट्र शुरू से ही बेलगाम, खानापुर, निप्पणी, नंदगाव और कारावार सहित 814 गांवों पर अपना दावा करता आया है। महाराष्ट्र के कई नेताओं का कहना है कि यहां के लोग मराठी भाषी हैं। जब भाषा के आधार पर पुनर्गठन हुआ था तो इन गावों को कर्नाटक की बजाय महाराष्ट्र में शामिल किया जाना चाहिए था।
कर्नाटक और महाराष्ट्र की सीमा पर करीब 7 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल ऐसा है जहां पर मराठा भाषा बोलने वाले लोग बहुतायत में रहते हैं। आजादी के बाद जब दोनों राज्यों की सीमा बांटी गई तो यह क्षेत्रफल व इसपर बसे 814 गांव कर्नाटक में शामिल कर लिए गए। जबकि महाराष्ट्र का शुरू से ही यह दावा है कि ये गांव महाराष्ट्र में शामिल किए जाने चाहिए थे।
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