India News (इंडिया न्यूज़) Manipur violence 9 May Update, नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और मणिपुर सरकार को पूर्वोत्तर के इस राज्य में जातीय हिंसा से प्रभावित हुए लोगों की सुरक्षा बढ़ाने, उन्हें राहत सहायता मुहैया कराने तथा उनके पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा। न्यायालय का यह निर्देश इन दलीलों पर संज्ञान लेने के बाद आया कि बीते दो दिनों में वहां कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने हिंसा के बाद की स्थिति को मानवीय समस्या करार देते हुए कहा कि राहत शिविरों में उपयुक्त इंतजाम किये जाएं और वहां शरण लेने वाले लोगों को भोजन, राशन तथा चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं। पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं। शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘हम जानमाल को हुए नुकसान को लेकर बहुत चिंतित हैं।’’
न्यायालय ने निर्देश दिया कि विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जाएं और उपासना स्थलों की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास किये जाएं।केंद्र और राज्य की ओर से न्यायालय में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हिंसा से निपटने के लिए उठाये गये कदमों से पीठ को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि सेना और असम राइफल्स की टुकड़ियों के अलावा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 52 कंपनियां हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनात की गई हैं। उन्होंने न्यायालय को बताया कि अशांत इलाकों में ‘फ्लैग मार्च’ किया जा रहा और शांति कायम करने के लिए बैठकें की गई हैं।
मेहता ने बताया कि राज्य सरकार ने पुलिस के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी को सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये एक अन्य शीर्ष अधिकारी को मणिपुर में मुख्य सचिव के तौर पर सेवा देने के लिए रविवार को वापस बुलाया गया। उन्होंने कहा कि स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है और इसके लिए हेलीकॉप्टर तथा ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। मेहता ने कहा कि विस्थापितों के लिए राहत शिविर संचालित किये जा रहे हैं और सुरक्षा बल फंसे हुए लोगों की आवाजाही में सहायता कर रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि बीते दो दिनों में कोई हिंसा नहीं हुई और क्रमिक रूप से स्थिति सामान्य होती जा रही है। रविवार और आज सोमवार को कुछ घंटों के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई।
मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों-नगा और कुकी- की हिस्सेदारी आबादी में करीब 40 प्रतिशत है तथा वे मुख्य रूप से पर्वतीय जिलों में रहते हैं।