मामले की सुनवाई कर रहे सीजेआई डीवाईचंद्रचूड़, जस्टिस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ ने कहा कि समय सबसे बड़ी जरूरत भोजन के साथ पर्याप्त राहत शिविरों को स्थापित किया जाए। राज्य के सभी पूजा स्थलों की सुरक्षा बढ़ाई जाए। राहत शिविरों में भोजन और दवाओं के जरूरी इंतजाम हो। विस्थापितों के पुनर्वास का काम तेज किया जाए।
इससे पहले सोलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार हालात सामान्य बनाने के लिए जरूरी कदम उठा रही है। 52 कंपनी सीएएफ और 101 कंपनी असम राइफल की लगाई गई हैं। सभी जनजाति-समुदायों की शांति समिति की बैठकें की जा रही हैं।एक सीनियर पुलिस अफसर को राज्य में सिक्योरिटी एडवाइजर नियुक्त किया गया है और संवेदनशील इलाकों में लगातार फ्लैगमार्च किए जा रहे हैं।
सोलीसीटिर जनरल ने यह जानकारी दी कि पिछले दो दिन से राज्य में हिंसा की कोई वारदात नहीं हुई है। इसलिए कर्फ्यू में ढील भी दी गई है। उपद्रवी तत्वों पर निगरानी के लिए हेलिकॉप्टर और ड्रोंस की मदद ली जा रही है। सोलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि राहत शिविर लगाए गए हैं और आवश्यक चीजें मुहैया करवाई जा रही हैं।
दरअसल, मैती समुदाय को जनजाति में शामिल किए जाने के विरोध में मणिपुर में हिंसा भड़क उठी थी। कई लोग इस हिंसा का शिकार हुए और कई धार्मिक स्थलों को में तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। हालात तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताए जा रहे हैं।
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