India News (इंडिया न्यूज),Maternity Benefits, दिल्ली : तीन महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों को भी गोद लेने वाली माताओं को भी मातृत्व लाभ अवकाश को लेकर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस मामले को विस्तार से जुलाई में देखेंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी थी कि क्या बाल मातृत्व का लाभ उम्र के बावजूद दिया जाना चाहिए। इस पर वकील ने कहा- वेतन के साथ 26 सप्ताह का अवकाश और अन्य सभी लाभ मिलना चाहिए। सीजेआई ने कहा- हम जुलाई में इस मुद्दे को विस्तार से देखेंगे। यह एक महत्वपूर्ण मामला है।
इससे पहले 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधान को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा मामले को जल्द सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया गया, जिसके बाद इस मामले को 28 अप्रैल को सुनवाई होगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। याचिका में कहा गया था यह प्रावधान दत्तक माताओं के प्रति भेदभावपूर्ण और मनमाना है। याचिकाकर्ता हंसानंदिनी नंदूरी ने मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 5(4) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है, जिसके अनुसार, किसी महिला को 12 सप्ताह के मातृत्व लाभ का लाभ उठाने के लिए तीन महीने से कम उम्र के बच्चे का दत्तक माता-पिता होना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि तीन महीने से ज्यादा उम्र के अनाथ, परित्यक्त या सरेंडर करने वाले बच्चे को गोद लेने वाली मां के लिए मातृत्व अवकाश का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए धारा 5(4) न केवल जन्म देने वाली मां और दत्तक माताओं के बीच, बल्कि गोद लिए गए बच्चों के बीच भी भेदभाव करती है।
याचिका में जन्म देने वाली माताओं की तुलना में दत्तक माताओं को प्रदान किए जाने वाले मातृत्व अवकाश की अवधि पर भी आपत्ति जताई गई है। गोद लेने वाली मां को 12 सप्ताह का मातृत्व लाभ मिलता है, लेकिन जन्म देने वाली माताओं को 26 सप्ताह का मातृत्व लाभ मिलता है।
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