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Legally Speking : सरकारी कर्मचारी और स्कूली बच्चों में कोई अंतर नहीं, हमेशा नजर छुट्टियों पर रहती है- मद्रास हाई कोर्ट

• LAST UPDATED : April 17, 2023

इंडिया न्यूज़,(No difference between government employee and school children): मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सरकारी कर्मचारी और स्कूली बच्चों में कोई अंतर नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी स्कूली बच्चों की तरह हैं, जिनकी नजर हमेशा सरकारी छुट्टियों और काम से छूट की ओर रहती है। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के जस्टिस स्वामीनाथन ने ये टिप्पणी आंबेडकर जयंती को लेकर घोषित राष्ट्रीय अवकाश से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया

हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि राज्य सरकार ने 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में नागरिकों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर खुद चाहते होंगे कि लोग ज्यादा से ज्यादा काम करें।

मदुरै हाईकोर्ट की बेंच ने ये टिप्पणी कुडनकुलम न्यूकलियर पावर प्लांट के कर्मचारी संगठन की ओर से दायर एक याचिका पर की। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी स्कूली बच्चों की तरह होते हैं। उनके लिए छुट्टियों का मिलना और काम से छूट का हमेशा स्वागत हैं।

इस याचिका में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कर्मचारी संगठन ने मांग की थी कि 14 अप्रैल, 2018 को उन्होंने काम किया था, जिसके लिए उन्हें दोगुना भत्ता मिलना चाहिए। हालांकि, हाईकोर्ट की ओर से इस परियोजना के निदेशक को उन्हें आर्थिक लाभ देने का निर्देश दिए गए।

भावनाओं और प्रतीकों के एक सिस्टम का पालन किया

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ऐसे व्यक्ति थे, जो चाहते कि लोग उनकी जयंती पर छुट्टी घोषित करने के बजाय कड़ी मेहनत करें। हमने भावनाओं और प्रतीकों के एक सिस्टम का पालन किया। दक्षता के बजाय शिष्टाचार में विश्वास किया। कोर्ट ने कहा कि देश प्रतीकवाद और भावनाओं की बहुत परवाह करता है।

कोर्ट ने कहा, “कुशलता के बजाय शिष्टाचार हमारी पहचान है। भारत रत्न श्री एपीजे अब्दुल कलाम की तरह, उन्होंने (आंबेडकर) भी कहा होगा कि मेरी मृत्यु पर छुट्टी घोषित न करें, इसके बजाय एक अतिरिक्त दिन काम करें, अगर आप मुझसे प्यार करते हैं।”

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