इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Omicron Alert कोरोना की पहली लहर में मरीजों की संख्या कम थी, लेकिन बीमारी नई थी, इसलिए खौफ ज्यादा था। लेकिन दूसरी लहर में कोरोना ने स्वरूप बदला और डेल्टा वैरिएंट ने देश में जमकर तांडव मचाया। दूसरी वेव में देशभर में ऑक्सीजन को लेकर कोहराम मचा रहा और ये सबने देखा भी। यहां तक कि पहली बार ऑक्सीजन के कंटेनरों को भी पुलिस की सुरक्षा प्रदान की गई और जरूरतमंद अस्पतालों तक पहुंचाया गया। ऐसे में अब कोरोना का नया वैरिएंट ओमीक्रॉन सामने आया है जिसके बारे में कहते हैं कि वैक्सीन भी इस पर असरदार नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो भारत में तीसरी लहर का खतरा भारी तबाही मचा सकता है।
कोरोना की पहली लहर में 3,095 टन आॅक्सीजन की जरूरत भारत में पड़ी थी। दूसरी लहर में प्राणवायु की डिमांड बढ़कर तीन गुना बढ़ गई थी। ऐसे में अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों को प्रतिदिन 15 हजार टन उत्पादन करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने महामारी और भविष्य की तैयारियों पर जोर देते हुए देश में 3631(पीएसए) प्रेशर स्विंग एब्जॉर्प्शन लगाने की मंजूरी दे दी थी।
नेशनल हेल्थ मिशन ने कोविड के शुरूआत में ही सभी राज्यों को पत्र लिख जानकारी दी थी कि कोरोना ने दस्तक दे दी है ऐसे में आईसीयू में दाखिल मरीज को प्रतिमिनट 11:90 लीटर वहीं रेगुलर बेड पर मरीज को एक मिनट में करीब सवा सात लीटर ऑक्सीजन चाहिए होती है। वहीं दूसरी लहर के दौरान यह खपत बढ़ गई। क्योंकि वायरस सीधे मरीज के फेफड़ों पर असर कर रहा था। ऐसे में आईसीयू में खपत बढ़कर प्रतिमिनट 30 लीटर हो गई। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्यों को कोरोना के नए खतरे को मद्देनजर रखते हुए भविष्य की तैयारियों में जुट जाने के लिए बोल दिया है।
सरकार ने देश में डेली ऑक्सीजन प्रोडक्शन का टार्गेट 15 हजार टन करने के आदेश दे दिए हैं। वहीं आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। देश में इस समय 2 लाख से अधिक आईसीयू बेड तैयार कर दिए गए हैं। इनमें से करीब 1 लाख बेड पर वेंटिलेटर की सुविधा मिल रही है। दूसरी लहर के दौरान देश में करीब 10 हजार टन आॅक्सीजन की सप्लाय हो रही थी।
देश में डेल्टा वायरस ने सबको हिला कर रख दिया था। उस समय अधिकतर मरीज सांस लेने की परेशानी से जूझते हुए अस्पतालों में पहुंच रहे थे। दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों में अधिक संख्या युवाओं की थी। लेकिन अब तीसरी लहर में 60 साल से अधिक आयु वालों के लिए खतरा बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि हो सकता है इस बार अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों का प्रतिशत पहले से ज्यादा हो सकता है। ऐसे में अब देखना होगा कि किस प्रकार राज्य सरकारें महामारी से निपटने के लिए मूलभूत ढांचे को दुरुस्त करते हुए तैयारियां करती हैं।
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