इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Omicron Variant विश्वभर में कोरोना वायरस का नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के कारण परिस्थितिया बदलती दिखाई दे रही हैं। विश्व के कई देशों में यह वेरिएंट दस्तक दे चुका है। और अब इस वेरिएंट ने भारत में अपने पांव पसार लिए है। ज्ञात रहे कल ही कर्नाटक में 2 लोगों में इस वेरिएंट को पाया गया है। पूरे विश्व में इस वायरस की बात की जाए तो अब तक यह कई देशों में एंट्री कर चुका है। दक्षिण अफ्रीका में मिला कोविड-19 का ओमिक्रॉन वेरिएंट तेजी से दस्तक दे रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। ऐसे में एक बार फिर इसका साया वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर दिखाने लगा है। बता दें कि कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर पहले ही कई पश्चिमी देशों में दहशत का महौल है। जैसे-जैसे यह अपना दायरा बढ़ा रहा है दहशत और भी बढ़ती जा रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी यह बुरी खबर है। वैश्विक आर्थिक सुधार पर इसके प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रहे सुधार में यह एक बार फिर रोड़ा बन सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट को चिंता के रूप में वर्गीकृत किए जाने के बाद दुनिया भर में इसकी दहशत बढ़ गई। शीर्ष वैज्ञानिकों ने हाल ही में दुनिया भर में इसकी उच्च संचरण क्षमता और कम वैक्सीन पैठ का हवाला देते हुए ओमिक्रॉन के खिलाफ चेतावनी जारी की थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यह डेल्टा वेरिएंट से भी कई गुना तक तेज है। यही कारण है कि भारत सहित कई देशों को यात्रा दिशा-निर्देशों को संशोधित करने के लिए मजबूर किया गया है। कुछ देश नए मामले आने पर नए प्रतिबंधों की तैयारी भी कर रहे हैं।
विशेषज्ञों की चिंता है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार को रोकने में विफल रहने से वैश्विक संक्रमणों की संख्या में भारी वृद्धि हो सकती है, जिससे कम टीकाकरण पहुंच वाले देशों में स्वास्थ्य प्रणाली चरमराने की संभापना बढ़ गई है। आर्थिक थिंकटैंक आॅर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-आॅपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने कहा कि ओमिक्रॉन पश्चिमी सरकारों को व्यवसायों और घरों के लिए नए सिरे से आपातकालीन वित्तीय सहायता लाने के लिए मजबूर कर सकता है। उन्होंने कहा कि यदि ओमिक्रॉन वायरस गंभीर वैश्विक मंदी को ट्रिगर करता है तो ऐसा संभव है।
ओईसीडी के विशेषज्ञों ने कहा है कि यदि कोरोनावायरस का ओमिक्रॉन वैरिएंट अपेक्षा से अधिक गंभीर हो जाता है तो यह दुनिया भर की विभिन्न सरकारों को कड़े प्रतिबंध लागू करने के लिए मजबूर कर सकता है। जो कि निश्चित तौर पर वस्तुओं और सेवाओं की मांग के लिए ठीक उसी तरह से एक बड़ा झटका साबित होगा, जैसा साल 2020 में कोरोना महामारी की शुरूआत के बाद आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के बाद देखने को मिला था।
ओईसीडी के मुख्य अर्थशास्त्री लॉरेंस बूने ने कहा कि संभावित परिदृश्यों की बात करें तो ओमिक्रॉन संस्करण का प्रभाव वैश्विक संकट को ट्रिगर कर सकता है। यह आपूर्ति व्यवधान पैदा करते हुए उच्च मुद्रास्फीति को लंबे समय तक कायम रख सकता है। दूसार ओर अगर यह गंभीर होता है और कड़े प्रतिबंध एक बार फिर लागू होते हैं तो इस मामले में मांग में गिरावट आ सकती है।
लॉरेंस बूने ने कहा कि महामारी की शुरूआत के बाद से आपातकालीन सहायता में लगभग 10 खरब डॉलर खर्च किए, दुनिया भर में टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए करीब 50 खरब डॉलर का खर्च अनुमानित है। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन वैरिएंट वास्तव में इस बात को याद दिला सकती है कि विफलता कितनी अदूरदर्शी रही है। हम अपनी अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने के लिए खर्च कर रहे हैं, जबकि हम पूरी दुनिया को टीका लगाने में विफल रहे हैं, इसी का परिणाम है कि दुनिया वास्तव में बेहतर नहीं दिख रही है।
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