India News Haryana (इंडिया न्यूज), Hindu Population: भारत के विभाजन से पहले पाकिस्तान भी भारत का हिस्सा था। उस समय हिंदू धर्म का वहां पर बोलबाला था। लाहौर, कराची, मुल्तान और सिंध जैसे इलाकों में हिंदुओं की बड़ी आबादी रहती थी। ये लोग मुसलमानों के साथ मिल-जुलकर रहते थे और सभी त्योहारों को मिलकर मनाते थे। उस समय हिंदू समाज का वहां के व्यापार, शिक्षा और संस्कृति में भी अहम योगदान था।
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1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान को मुस्लिम बहुल देश घोषित किया गया। इसके बाद हिंदुओं की स्थिति लगातार खराब होती चली गई। धार्मिक असहिष्णुता और भेदभाव के चलते बड़ी संख्या में हिंदू भारत या अन्य देशों में पलायन करने को मजबूर हो गए। आज पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और उनकी स्थिति बेहद खराब है।
2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में केवल 38 लाख हिंदू बचे हैं, जो कुल जनसंख्या का बहुत छोटा हिस्सा हैं। इनमें से अधिकांश ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जहां वे बेहद दयनीय हालत में जी रहे हैं। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, हिंदू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन और शादी के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं।
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पाकिस्तान में हिंदुओं की घटती आबादी का मुख्य कारण धार्मिक असहिष्णुता है। अल्पसंख्यकों को अक्सर भेदभाव, उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, हिंदू लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन भी एक बड़ी समस्या है। इन परिस्थितियों के चलते हिंदू परिवारों को मजबूरी में अपने घर छोड़कर पलायन करना पड़ता है। पाकिस्तान में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। उनके अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सामने आना चाहिए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अल्पसंख्यकों को समान अवसर और सुरक्षा मिले।
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