India News (इंडिया न्यूज़), Opposition Alliance I.N.D.I.A, इंफाल: मणिपुर में जारी हिंसा के बीच अब सियासत भी गरमा गई है। विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवपलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सांसदों ने राज्य दौरे के दूसरे और अंतिम दिन रविवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके के साथ राजभवन में मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने मीडिया को संबोधित किया। बता दें कि गठबंधन के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर पहुंचा था। इसके बाद उन्होंने हिंसा पीड़ितों से राहत शिविरों में मिलकर उनकी परेशानियों के बारे में जाना। बीजेपी ने हालांकि इसे नाटक करार दिया है।
राज्यपाल के साथ रविवार को मुलाकात के बाद 21 सांसदों ने अपने हस्ताक्षर वाला एक पत्र लिखकर अनुसुइया उइके से मांग की कि वह सरकार से राज्य में हो रही हिंसा को लेकर जरूरी कदम उठाने के लिए कहें। राज्यपाल 89 दिन से मणिपुर में कानून एवं व्यवस्था के खराब हालात के बारे में केंद्र सरकार को भी अवगत करवाएं। विपक्षी सासंदों ने आरोप लगाया कि इस मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी दिखाती है कि वो गंभीर नहीं हैं।
मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि सभी 21 सांसदों ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कहा, हमने राज्यपाल से बात की तो उन्होंने खुद अपना दर्द व्यक्त किया। अधीर रंजन ने कहा, दो दिवसीय दौरे के दौरान हमने जो कुछ भी देखा, राज्यपाल भी हमारी बात से सहमत हुईं। कांग्रेस सांसद ने कहा, गवर्नर ने यह भी सुझाव दिया कि हम सभी समुदायों के नेताओं के साथ मिलकर बातचीत करें और समस्या का समाधान निकालें। अधीर रंजन के अनुसार राज्यपाल ने यह भी सुझाव दिया कि विपक्ष और सत्तारूढ़ दल दोनों को मिलकर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजना चाहिए और बातचीत करनी चाहिए।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मुख्य बात यह है कि मणिपुर को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा, चूंकि राज्य और केंद्र सरकार ने इसे नजरअंदाज किया है, इसलिए स्थिति बिगड़ रही है। कांग्रेस सांसद ने कहा, राज्य में जल्द से जल्द शांति बहाल होनी चाहिए।
कांग्रेस सांसद फूलोदेवी नेताम ने कहा कि राहत शिविरों का दौरा करके पता चला कि एक हॉल में 400-500 लोग रह रहे हैं और राज्य सरकार उन्हें केवल दाल-चावल मुहैया करवा रही है, बच्चों को पूरे दिन खाने के लिए और कुछ नहीं मिल रहा है। शौचालय या बाथरूम की भी कोई सुविधा नहीं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लोग शिविरों में रह रहे हैं वह बहुत हृदय विदारक है।
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