India News (इंडिया न्यूज), 2-Day Global Buddhist Summit, नई दिल्ली : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दो दिवसीय इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि बौद्ध धर्म की जन्मस्थली होने के नाते भारत वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन की मेजबानी करके अपना कर्तव्य निभा रहा है, जो अन्य देशों के साथ अपने सांस्कृतिक और राजनयिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करेगा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से बौद्ध भिक्षुओं की उपस्थिति हमें भगवान बुद्ध की उपस्थिति का एहसास कराती है।
इस दौरान केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि भारत के अलावा 30 देशों के 170 प्रतिनिधि इस बड़े आयोजन में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधियों में प्रख्यात बौद्ध भिक्षु, विद्वान, राजदूत और राजनयिक शामिल हैं।उन्होंने कहा, ‘‘यह पहला वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आयोजित किया जा रहा है। इसका विषय ‘समकालीन चुनौतियों पर प्रतिक्रिया : अभ्यास के लिए दर्शन’ है।’’
रेड्डी ने कहा, ‘‘शिखर सम्मेलन के दौरान शांति, पर्यावरण, नैतिकता, स्वास्थ्य, स्थिरता समेत अन्य विषयों पर चर्चा होगी।’’ उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में पांच प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक और राजनयिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करेगा। 20 से 21 अप्रैल तक चलने वाले इस कार्यक्रम की मेजबानी राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा की जा रही है।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें शिखर सम्मेलन में भाग लेने अवसर मिला। उन्होंने दर्शकों के साथ साझा किया कि वह आईबीसी की स्थापना के समय से ही इससे जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत बौद्ध धर्म की जन्मस्थली है। इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करके भारत न केवल अपना कर्तव्य निभा रहा है, बल्कि यह आगे का रास्ता भी दिखा रहा है।’’ रीजीजू ने कहा, ‘‘कामना करता हूं कि शुद्ध धम्म लंबे समय तक बना रहे।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने अपना संबोधन शुरू करने से पहले मंच पर मौजूद भिक्षुओं को सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन की पहली बार 2020 में कल्पना की गई थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उस समय इसका आयोजन नहीं हो सका था। उन्होंने कहा कि तब विभिन्न देशों के शीर्ष भिक्षुओं को एक समय में एक स्थान पर लाना मुश्किल था।
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