India News, (इंडिया न्यूज), Political Impact on Wrestlers Protest, चंडीगढ़ : भारत के दिग्गज पहलवान न्याय को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर लगातार धरनास्थल पर बैठे हुए हैं और भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। बता दें कि अखाड़े से लेकर सियासत तक बृजभूषण शरण सिंह को लेकर हंगामा मचा हुआ है। पहलवानों ने धरना स्थल पर बृजभूषण पर अब तक हुए मुकदमों की लिस्ट तक टांग रखी है।
इसी बीच अब कई राजनीतिक हस्तियां भी धरना स्थल पर पहुंचना शुरू हो चुकी हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो ये लड़ाई राजनीतिक रंग भी ले रही है। हर तरफ से दांव-पेंच चले जा रहे हैं। गत दिनों जहां धरना स्थल पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पहुंची थी, वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल और पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू भी पहुंच चुके हैं और सभी अपने-अपने राजनीतिक तर्क दे रहे हैं।
दिल्ली जंतर-मंतर पर पहलवानों के धरने के 7वें दिन कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पहुंचीं थी और पहलवानों के सिर पर हाथ रखकर उन्हें सहानुभूति दी थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि सरकार बृजभूषण को क्यों बचाने में लगी हुई है। यह देश के पहलवानों के हितों की अनदेखी है। सरकार को बृजभूषण से तुरंत इस्तीफा ले लेना चाहिए।
दिल्ली के जंतर मंतर पर पहलवानों का समर्थन करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह जगह बहुत पवित्र है। 2011 में हमने यहीं से आंदोलन शुरू किया था और देश की राजनीति बदली। ये पहलवान यहीं से देश की खेल व्यवस्था बदल देंगे।
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल भी सोमवार को जंतर-मंतर पहुंचे थे और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महिला पहलवानों के ‘‘मन की बात’’ सुनने का अनुरोध किया था। वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल पहलवानों की ओर से उच्चतम न्यायालय में पैरवी कर रहे हैं। उनकी टिप्पणी मोदी के “मन की बात” रेडियो कार्यक्रम की 100वीं कड़ी के प्रसारण के एक दिन बाद आई थी।
वहीं पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने भी पहलवानों के समर्थन में धरना स्थल पर पहुंचकर कहा था कि यह संजीदगी वाले मामले में न ही कोई ताली बजाए और न ही नारे लगाएं। मैं अपने खिलाड़ियों के लिए आया हूं। ये रील हीरो नहीं, रियल हीरो है।
मालूम रहे कि देश के तमाम जाने-माने पहलवान हरियाणा से आते हैं। 2010 के दशक में ही कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी फेडरेशन को संभालना चाहते थे, पर बृजभूषण शरण ने ऐसा होने नहीं दिया। उन्होंने चुनाव जीता और खुद कमान संभाली। बताया जा रहा है मौजूदा विवाद का एक कनेक्शन इस जीत-हार से भी है।
उल्लेखनीय है कि बृजभूषण शरण सिंह का बतौर अध्यक्ष ये आखिरी कार्यकाल है जोकि इस समय काफी चर्चा में भी है। वो इस कुर्सी को अपने परिवार में ही बनाए रखना चाहते हैं, लिहाजा उनके बेटे के नाम पर चर्चा थी. लेकिन अब चर्चा है कि इस बार हाथ आए इस मौके को हरियाणा लॉबी भी गंवाना नहीं चाहती।
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