India News, इंडिया न्यूज़, PPL India, मुंबई : दिल्ली उच्च न्यायालय मजबूती के साथ साउण्ड रिकॉर्डिंग के लिए ऑनग्राउंड सार्वजनिक प्रदर्शन अधिकारों के वैद्य मालिक पीपीएल इंडिया के पक्ष में खड़ा है। दिल्ली की इवेंट मैनेजमेन्ट कंपनी कैनवास कम्युनिकेशन के खिलाफ़ दर्ज किए गए एक मामले में इन्होंने पीपीएल इंडिया से वैद्य लाइसेंस प्राप्त करने से बचने का प्रयास किया, जो सिनेफिल प्रोड्युसर्स परफोर्मेन्स लिमिटेड (मात्र सिनेमेटोग्राफ के लिए पंजीकृत कॉपीराइट सोसाइटी) और चण्डीगढ़ में स्थित निजी संस्था डीजे लाईट एंड साउंड एसोसिएशन से संदिग्ध सलाह पर भरोसा कर रहे हैं।
इससे पहले कैनवास कम्युनिकेशन ने पीपीएल इंडिया के कानूनी दर्जे का विरोध करते हुए तर्क किया था कि यह एक पंजीकृत कॉपीराइट सोसाइटी नहीं है और इसलिए इसके पास साउण्ड रिकॉर्डिंग्स के सार्वजनिक प्रदर्शन हेतु लाइसेंस देने का अधिकार नहीं है। हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसम्बर 2021 को जारी आदेश के माध्यम से स्पष्ट पुष्टि की थी कि पीपीएल इंडिया के पास साउण्ड रिकॉर्डिंग्स के लिए लाइसेंस जारी करने का अधिकार है और यह कॉपीराइट अधिनियम की धारा 33 के तहत किसी भी प्रतिबंध से मुक्त है। साथ ही लाइसेंस के बिना पीपीएल इंडिया की साउण्ड रिकॉर्डिंग्स का उपयोग करने से केनवास कम्युनिकेशन पर रोक लगा दी थी। अदालत ने इस बात की पुष्टि की है कि साउण्ड रिकॉर्डिंग में स्वतन्त्रत कॉपीराइट है, जो सिनेमेटाग्राफिक कार्य एवं अन्य कार्यों में कॉपीराइट से अलग हे, जिसमें साउण्ड रिकॉर्डिंग को शामिल किया जा सकता है।
अदालत के स्पष्ट फैसले के बावजूद कैनवास कम्युनिकेशन ने अपनी अवज्ञा जारी रखी और 26 जुलाई 2023 को एक ईमेल भेजा। एक बार फिर से सिनेफिल और डीजे लाईट एण्ड साउण्ड एसोसिएशन द्वारा जारी की गई गुमराह करने वाली अडवाइज़री पर भरोसा करते हुए पीपीएल इंडिया द्वारा लाइसेंस जारी करने के अधिकार पर सवाल उठाए। केनवास कम्युकिनेशन ने भ्रामक तर्क देने का प्रयास किया है कि सिनेफिल का लाइसेंस, हालांकि सिर्फ सिनेमेटाग्राफी फिल्मों के लिए है, यह कॉपीराइट अधिनियम के तहत सिनेमेटोग्राफ फिल्म की परिभाषा के अनुसार पीपीएल इंडिया द्वारा नियन्त्रित साउण्ड रिकॉर्डिंग्स के स्वतन्त्र एवं स्टैण्ड-अलोन उपयोग को भी कवर करता है।
बता दें कि अब दिल्ली उच्च न्यायालय ने 31 जुलाई 2023 को जारी आदेश में कैनवास कम्युनिकेशन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, “कोर्ट इस तथ्य से परेशान है कि इससे पहले अदालत को संपर्क नहीं करने और यहां तक कि कोई स्पष्टीकरण न लेने के बाद भी बचाव पक्ष ने 26 जुलाई 2023 को अपने ईमेल के ज़रिए पीपीए इंडिया द्वारा लाइसेंस जारी करने के अधिकार पर सवाल उठाए, वो भी उसी तर्क के आधार पर जो 17 दिसम्बर 2021 को अदालत के समक्ष उठाए थे, जिसे प्रथम दृष्ट्या स्वीकार नहीं किया गया।
इसी आधार पर बचाव पक्ष ने पीपीएल इंडिया के खिलाफ कथित वक्तव्य दिया, लेकिन सिनेफिल प्रोड्युसर्स परफोर्मेन्स लिमिटेड की ओर से तथा 5 अगस्त 2023 को रिकॉर्डिंग्स चलाने के निर्देश दिए गए। प्रथम दृष्टया बचाव पक्ष इस तर्क के आधार पर 17 दिसम्बर 2021 को अदालत द्वारा दी गई निषेधाज्ञा के अनुरूप कार्य कर रहा है, जिसे कथित दिनांक को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया और प्रथम दृष्टया स्वीकार्य नहीं पाया गया। इस आदेश ने आम जनता को आवश्यक राहत दी है जो दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से कॉपीराइट के उल्लंघन एवं कुछ लोगों के निहित स्वार्थ के चलते भ्रामक वक्तव्यों का शिकार बन रहे हैं।
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